चैत्र शुक्ल पक्ष १४, कलियुग वर्ष ५११६
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन के सीन यंग कहते हैं कि ईरानी महिलाओं की फेसबुक पर सक्रियता और समय बिताने को इस बात से जोड़कर देखा गया कि उनकी इच्छा पारंपरिक बुरके के बिना अपनी तस्वीर फेसबुक पर साझा करने की हो सकती है।सोशल मीडिया का उपयोग न केवल किसी इंसान के व्यवहार और व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित कर सकता है, बल्कि महिला सशक्तिकरण में भी भूमिका निभा सकता है। इसका पता फेसबुक पर किए गए इस अध्ययन से चलता है कि ईरानी फेसबुक उपयोगकर्ता महिलाएं बुरका त्यागकर फेसबुक में अपनी तस्वीरें साझा करने की इच्छुक हो सकती हैं।
ईरान की यूनिवर्सिटी ऑफ शाहिद चामरान के अब्बास शकीबा और यूनिवर्सिटी ऑफ सेमनाम के मोहम्मद सेदेघ के साथ यंग ने ईरानी महिलाओं और सोशल मीडिया के बीच संबंध को लेकर एक सर्वे किया। उन्होंने पाया कि कई कारकों और ईरानी महिलाओं में बिना बुरके के तस्वीर फेसबुक पर साझा करने के मामले का आपस में संबंध है।
पत्रिका साइबरसाइकोलॉजी की प्रधान संपादक ब्रेंडा के। वीडरहोल्ड ने कहा कि यह अध्ययन प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के संस्कृति और धार्मिक मानदंडों पर पड़ने वाले प्रभाव का महत्वपूर्ण साक्ष्य है। इस सर्वे पर प्रकाशित लेख का शीर्षक था 'द एंफ्लुएंस ऑफ सोशल नेटवर्किंग टेक्नोलॉजीज ऑन फीमेल रिलीजियश वेलविअरिंग बिहेवियर इन ईरान'।
स्त्रोत : आज तक