‘आप’के कार्यकर्ताओंद्वारा सनातनकी ग्रंथप्रदर्शनी बलपूर्वक हटाए जानेकी धमकी !

चैत्र पौर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११५

‘आप’के कार्यकर्ताओंकी गुंडागर्दी !

जिस पक्षके कार्यकर्ता देश एवं धर्मप्रेमी साधकोंको धमकी देते हैं, उनकेद्वारा साधारण लोगोंके कार्य कैसे किए जाएंगे ?

एक नगरमें प्रमुख बाजारपेठमें १२ अप्रैलको सनातन संस्थाद्वारा घुमती ग्रंथप्रदर्शनी (रथ) लगाई गई थी । इस स्थानपर संध्या समयमें ‘आम आदमी पक्ष’की सभा आयोजित की जानेवाली थी । पुलिसद्वारा दोनोंको ही अनुमति दी गई थी । दोपहर ३ के लगभग ‘आप’के कार्यकर्ताओंने घुमतीे ग्रंथप्रदर्शनीके पास आकर उसे हटानेका बलपूर्वक आग्रह किया एवं ऐसी धमकी दी कि यदि प्रदर्शनी नहीं निकाली गई, तो और लोगोंको ले आकर ग्रंथप्रदर्शनी निकाल दी जाएगी । (जिस पक्षके कार्यकर्ता राष्ट्र एवं धर्मकार्य करनेवाले एक धार्मिक संस्थाके साधकोंसे वार्तालाप करते हुए धमकीकी भाषाका उपयोग करते हैं, वे कार्यकर्ता साधारण जनताके साथ वैâसे आचरण करते होंगे, इसका विचार ही न करना अच्छा है ! क्या ऐसे कार्यकर्ताओंपर पुलिस कठोर कार्यवाही करेगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

१. कथित प्रदर्शन लगाने हेतु सनातन संस्थाने पुलिसद्वारा विधिवत् अनुमति ली थी ।

२. उसी दिन संध्या समयमें ‘आप’की सभा आयोजित की गई थी । इस सभाको भी पुलिसने अनुमति दे रखी थी । (एक ही स्थानपर दोनोंको ही अनुमति देकर बेढंगा कार्य करनेवाला पुलिस प्रशासन ! इसकारण जो कोलाहल मचा उसके लिए वास्तवमें पुलिस प्रशासन ही उत्तरदायी है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. दोपहर ३ बजे ‘आप’के कार्यकर्ता सनातनकी प्रदर्शनीके पास आकर ‘हमने संध्या समयमें हमने सभा आयोजित की है । इसलिए प्रदर्शनी हटानेकी मांग करने लगे । साधकोंने उन्हें समझानेका प्रयास किया एवं कहा, ‘हमने विधिवत् अनुमति ली है । आज हाट (बाजार) का दिवस है । इसलिए अन्यत्र स्थान मिलना भी असंभव है’; परंतु कार्यकर्ता सुननेकी स्थितिमें नहीं थे । इसके आगे उन्होंने कार्यकर्ताओंको धमकी देते हुए कहा, ‘यदि प्रदर्शनी नहीं हटाई गई, तो हम हमारे लडकोंको लाकर हमारी पद्धतिसे हटाएंगे !’ 

४. कार्यकर्ताने पुलिसकर्मियोंको दूरभाष कर आमंत्रित किया । पुलिसकर्मियोंमेंं एक पुलिसने एक साधकको अलग बुलाकर कहा, ‘’हमने दोनोंको ही अनुमति दी है, यह हमारी चूक है । आप प्रदर्शनी दूसरी ओर लगाकर हमें सहयोग करें ।’’ इसपर साधकोंने कहा कि हम सहयोग करने सिद्ध हैं; परंतु बाजारका दिन होनेके कारण अब प्रदर्शनीकी विशेष गाडी कैसे हटाएंगे ? इसपर पुलिसने गाडी बाहर निकालकर  अन्यत्र भूमि उपलब्ध करानेका आश्वासन दिया, तो पुलिसकी विनती स्वीकार कर साधकोंने प्रदर्शनी रथ अन्यत्र लगाया । (कहां गुंडागर्दीकी भाषा करनेवाले कार्यकर्ता एवं कहां पुलिसकी विनतीको मान देनेवाले सनातनके आदर्श साधक ! पुलिसद्वारा सभास्थल बदलनेके लिए ‘आप’के कार्यकर्ताओंसे विनती क्यों नहीं की गई ? सनातनके साधक सुनेंगे, इसकी निश्चती होनेके कारण ही वे साधकोंके पास आए । इससे ‘आप ‘एवं सनातनकी सीखमें जो अंतर है वह, स्पष्ट रूपसे उजागर होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

५. जिन्होंने धमकी दी थी उनमें कुछ कार्यकर्ता संध्या समयमें प्रदर्शनीके पास आए एवं उन्होंने साधकोंसे क्षमायाचना करते हुए कहा, ‘आप कौन है, यह हमे पश्चात समझमें आया ।’ हमारे पास भी साप्ताहिक ‘सनातन प्रभात’ आता है । हमें आपका कार्य ज्ञात है ! इसपर एक साधकने कहा, आपका एक राजनीतिक पक्ष है । साधारण लोगोंकी सहायता करना राजनीतिक पक्षका कर्तव्य है । सहायता तो दूर, आप  उलटे गुंडागर्दी कर रहे हो । यदि ऐसा होगा, तो आप लोगोंके साथ कैसे न्याय करेंगे ?, ऐसा स्पष्ट प्रश्न पूछनेपर इसपर वह कार्यकर्ता निरुत्तर हो गया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​