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नासा ने माना, अंतरिक्ष में केवल संस्कृत की ही चलती है !

वैशाख कृष्ण पक्ष ५, कलियुग वर्ष ५११६ 


नई दिल्ली : आजकल हर तरफ अंग्रेजी का बोलबाला है। विज्ञान से लेकर कार्यालयी भाषा के रूप में अपनी जगह बना चुकी अंग्रेजी अब वक्त की जरूरत बन चुकी है। लेकिन अगर हम कहें कि इस जरूरत की भी अपनी कुछ कमजोरियां हैं। जिनका निदान केवल संस्कृत के पास है, तो निश्चित तौर पर आप पूछेंगे कैसे? वह ऐसे कि देवताओं की भाषा संस्कृत अंतरिक्ष में कोई भी मैसेज भेजने के लिए सबसे उपयोगी भाषा के रूप में सामने आई है।

नासा के वैज्ञानिकों की मानें तो जब वह स्पेस ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलटे हो जाते थे। इस वजह से मेसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने दुनिया के कई भाषा में प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मेसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं। यह रोचक जानकारी हाल ही में एक समारोह में दिल्ली सरकार के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. जीतराम भट्ट ने दी।

दिल्ली सरकार की संस्कृत अकादमी ने दिल्ली के करोलबाग, मयूर विहार और गौतम नगर में लोगों को संस्कृत सिखाने के उद्देश्य से तीन शिक्षालयों के उद्धाटन के अवसर पर यह समारोह आयोजित किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वामी प्रणवानन्द महाराज ने कहा कि संस्कृत में सभी प्रकार के उपयोगी विषय हैं, जरूरत उनके प्रसार की है। समारोह में अनेक डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी और व्यवसायी भी उपस्थित थे।

स्त्रोत : रिपब्लिक हिन्द 

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