अलग संविधान संबंधी प्रावधान को खत्म करने की मांग
ऐसे में अनुच्छेद ३७० को जारी रखने और अलग संविधान संबंधी निर्णय को खारिज किया जाए। अदालत ने इस याचिका पर १९ अक्तूबर को सुनवाई तय की है। मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ के समक्ष यह जनहित याचिका कुमारी विजय लक्ष्मी झा ने दायर की है।
याची के अधिवक्ता अनिल कुमार झा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अनुच्छेद ३७० के तहत अस्थायी रूप से प्रावधान किया गया था। इसका उद्देश्य वहां विधानसभा के गठन तक था।
याची ने याचिका में क्या कहा है?
इसी प्रकार १७ नवंबर १९५६ व २६ जनवरी १९५७ में जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान बना दिया गया। राष्ट्रपति व संसद ने इसे मंजूरी प्रदान नहीं की है, ऐसे में अलग संविधान की कोई वैद्यता नहीं है।
याची ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर के २६ अक्तूबर १९४७ को भारत व वहां के राजा हरि सिंह के बीच हुए समझौते को चुनौती नहीं दे रहे। जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत के संविधान के आने के बाद अस्तित्व में आया है ऐसे में उसकी कोई भी कानूनी वैद्यता नहीं है।
वहां के राजा व भारत के बीच हुए समझौते के तहत भी ऐसा तय नहीं था कि अलग संविधान या विशेष दर्जा रहेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय २८ मई २०१४ को समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ था कि सरकार ने अनुच्छेद ३७० को निरस्त करने का निर्णय लिया है, लेकिन, अब भी जम्मू-कश्मीर में यह लागू है।
स्त्रोत : अमर उजाला