पाकिस्तान: सरकारी स्कूलों में जिहाद की पढ़ाई

वैशाख कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६


पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में बनी तहरीक ए इंसाफ और जमात ए इस्लामी पार्टी की गठबंधन सरकार ने प्रांत में पिछली आवामी नेशनल पार्टी के शासनकाल में सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम से जिन इस्लामी और जिहाद संबंधी क़ुरान की आयतों को निकाल दिया गया था, नई सरकार ने उन्हें फिर से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का फैसला किया है। 

जमात ए इस्लामी से संबंध रखनेवाले प्रांतीय सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री हबीबुल रहमान ने बीबीसी से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि सरकार ने पाठ्यक्रम की किताबों में तब्दीली लाने का सैद्धांतिक फैसला कर लिया है और इस सिलसिले में काम शुरू कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि चंद दिन पहले इस्लामाबाद में तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान की अध्यक्षता में ख़ैबर पख्तूनख्वां की शिक्षा नीति से संबंधित वर्किंग ग्रुप की एक बैठक हुई जिसमें वो जमात ए इस्लामी की तरफ से प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए थे। उनके मुताबिक इस बैठक में उनकी पार्टी की तरफ से इमरान खान को एक पुस्तिका सौंपी गई जिसमें सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम से जिहाद और इस्लाम से संबंधित वो तमाम सामग्री शामिल थी जो पिछली सरकार के दौर में पाठ्यक्रम से हटा दी गई थी।

प्रांतीय मंत्री का कहना था कि बैठक में इमरान खान ने ये कहा कि "वो पक्के मुसलमान हैं और वो सरकार छोड़ सकते हैं लेकिन जिहाद के बारे में क़ुरान की आयतों को पाठ्यक्रम से निकालने पर सौदेबाज़ी नहीं कर सकते"।

हबीबुल रहमान के मुताबिक पिछली सरकार में दूसरी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक इस्लामी और सामाजिक विषय की किताबों से जिहाद और इस्लाम से संबंधित कई आयतों को निकाला गया था और उनकी जगह दूसरी सामग्री को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया गया था।

पहले का पाठ्यक्रम


उन्होंने आरोप लगाया कि एएमपी की सरकार ने बच्चों की किताबों से तमाम इस्लामी और राष्ट्रीय नेताओं के साथ-साथ अहम शख्सियतों के कारनामों को हटा दिया था और उनकी जगह पश्चिमी जगत के नेताओं के योगदान को शामिल किया था।

प्रांतीय मंत्री ने बताया कि शुक्रवार के दिन भी शिक्षा नीति पर एक बैठक हुई जिसमें पाठ्यक्रम में परिवर्तनों पर बातचीत हुई।

दूसरी तरफ़ ख़ैबर पख्तून ख्वां की प्रांतीय एसेंबली में आवामी नेशनल पार्टी के विधायक दल के नेता और प्रांत के पूर्व शिक्षा मंत्री सरदार हुसैन बाबक का कहना है कि उनकी सरकार में पाठ्यक्रमों में जो तब्दीलियां की गई थीं वो इस्लाम की मूल भावना के मुताबिक थीं और इसमें शिक्षा के सभी पहलुओं को शामिल किया गया था।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जमात ए इस्लामी और उनकी पार्टी का जिहाद को लेकर अलग-अलग नज़रिया है। उनके मुताबिक जमात ए इस्लामी बंदूक, तलवार और ख़ूनख़राबे को जिहाद समझती है जबकि उनकी पार्टी इन चीज़ों पर यक़ीन नहीं रखती बल्कि एएनपी की सरकार में जिहाद की मूल भावना और उसकी व्याख्या को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया था।

सरदार हुसैन ने आरोप लगाया कि जमात ए इस्लामी की तरफ़ से पाठ्यक्रम में बदलावों का मक़सद ये है कि इस सूबे के बच्चों में चरमपंथ और उग्रपंथ परवान चढ़े, इसलिए वो पाठ्यक्रम की तब्दीली में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

इस बारे में तहरीक ए इंसाफ़ से संबंधित प्रांतीय शिक्षा मंत्री आतिफ़ ख़ान का पक्ष जानने के लिए उनसे बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके सचिव की तरफ से हर बार यही जवाब दिया गया कि साहब मीटिंग में व्यस्त हैं।

स्त्रोत : बीबीसी हिन्दी

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