वैशाख कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
आज भी ये दास्यत्वके संकेत हमने वैसे ही रखे हैं !
जंतरमंतर यहां निदर्शन करते हुए हिंदू धर्माभिमानी
नई देहली : जम्मू-कश्मीरमें श्रीनगरकी ‘शंकराचार्य पहाडी’का ‘तख्त-ए-सुलेमान’ नामांतर करनेको विरोध दर्शाने एवं मार्ग तथा नगरोंको दिए विदेशी आक्रामकोंके नाम परिवर्तित करनेकी मांगके लिए यहांके जंतरमंतर, देहलीमें राष्ट्रीय हिंदु आंदोलन आयोजित किया गया था । इस आंदोलनमें बोलते समय हिंदू जनजागृति समितिके पंजाब एवं हरियाणा राज्यके समन्वयक श्री. सुरेश मुंजालने प्रतिपादित किया कि जिस औरंगजेबने सैनिकोंको हिंदुओंके कोमल बच्चोंको हवामें फेंक कर उन्हें भालेपर झेलनेकी आज्ञा दी, जिसने हिंदुओंके आस्थास्रोतोंको आहत किया, उसी हिंदुद्वेषी औरंगजेबके नाम देशमें नगरों एवं मार्गोंको दिए जाते हैं । आज हिंदुओंमें ‘मुझे इससे क्या लेन-देन ?’ ऐसी मानसिकता बढ गई है । इसलिए इन बातोंको दुर्लक्षित किया जाता है । एक-एक नगर उध्वस्त कर उसे ‘बसाया’, ऐसा कहा गया । आज भी ये दास्यत्वके संकेत हमने वैसे ही रखे हैं । इसलिए हिंदुओंको ‘दास्यत्व’ की मानसिकतासे निकल कर मार्ग एवं नगरोंको दिए विदेशी आक्रामकोंके नाम परिवर्तित करने हेतु संगठित होना आवश्यक है ।
इस आंदोलनमें ३५ धर्माभिमानी हिंदु सम्मिलित हुए थे । आंदोलनमें गोरक्षाहेतु कार्य करनेवाले पू. गोपालदास स्वामीजीकी वंदनीय उपस्थिति प्राप्त हुई । उन्होंने इस परिस्थितिको सुधारने हेतु हिंदुओंको क्या प्रयास करने चाहिए, इस संदर्भमें मार्गदर्शन किया ।
१. राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभाके श्री. श्रीकृष्ण आर्यने कहा कि आज ‘शंकराचार्य पहाडी’ का नामांतर किया जा रहा है । तब भी हम स्तब्ध हैं । हम यदि ऐसे ही शांत रहे, तो कल ऐसा समय आएगा कि कोई अपने नामको भी बलपूर्वक परिवर्तित करेगा । क्या तब भी हम शांत बैठेंगे ?
२. हिंदू जनजागृति समितिके श्री. विनय पानवलकरने कहा कि कश्मीरसे निर्वासित हिंदु वापस कश्मीरमें न आने हेतु उनके आस्थास्रोंतोंका अस्तित्व नष्ट करनेका धर्मांधोंका यह सुनियोजित षडयंत्र है ।
३. सनातन संस्थाकी श्रीमती संदीप कौर-मुंजालने कहा कि भारत स्वतंत्र होकर भी अबतक आक्रामकोंके नाम वैसे ही हैं, जिसके लिए धर्मांधोंकी आक्रामकता तो कारणभूत है ही, परंतु उसके साथ हीह हिंदुओंकी निष्क्रियता भी कारणभूत है । इसलिए यह निष्क्रियता दूर कर हिंदुओंके नाम हटाने हेतु प्रयास करने चाहिए ।
४. हिंदू जनजागृति समितिके श्री. गजानन केसकरने कहा कि हिंदुनिष्ठोंको नगरोंके मूल नाम लोगोंके मनपर अंकित करनेके लिए प्रथम स्वयंसे ही आरंभ करना चाहिए । इसके लिए किसीसे भी नगरोंके संदर्भमें वार्तालाप करते समय हमें ‘अहमदाबाद’ के स्थानपर ‘कर्णावती’ ही कहना चाहिए, जिससे सामनेकी व्यक्तिको मूल नाम समझमें आना संभव होगा ।
इस आंदोलनमें राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा, कट्टर हिंदु पार्टी, उपासना धर्मोत्थान केंद्र, हिंदू जनजागृति समिति तथा सनातन संस्था इ. संगठनोंके कार्यकर्ता सम्मिलित हुए थे ।
क्षणिकाएं
१. ‘हिंद की आवाज’, ‘पंजाब केसरी’ ‘ पी.टी.आय’ तथा ‘राजधानी निशांत टाइम्स’ के वार्ताहरोंने आंदोलनके समाचारका संकलन किया ।
२. जिस समय श्री. सुरेश मुंजाल विषय प्रस्तुत कर रहे थे, उस समय एक मुसलमान अपने वाहनको आंदोलनके स्थानपर रोककर विषय ध्यानपूर्वक सुन रहा था । (बहुसंख्यक हिंदु ‘हिंदु धर्म’के विरुद्ध कोई यदि कोई बोलता है, तो जानबूझकर दुर्लक्ष करते हैं, मात्र मुसलमान अन्यधर्मियोंद्वारा ‘मुसलमान’ शब्द सुनाई देनेपर क्या कहीं अपने धर्मके विरुद्ध तो कुछ नहीं हो रहा है ? यह जानबूझकर देखते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात