कई लोगों को लगता है कि हर किसी को ये अधिकार हासिल है कि वो जिस धर्म में पैदा हुआ है उसको छोडकर किसी दुसरे धर्म को अपनाए का या फिर किसी भी मजहब में न जाए। लेकिन सच है कि इस अधिकार का प्रयोग हर कोई नहीं कर पाता है।
हालांकि जनगणना में इसका ज़िक्र नहीं है लेकिन आंकड़े दिखाते हैं कि इंग्लैंड और वेल्स में २००१ के बाद ऐसे लोगों की संख्या दोगुनी हुई है जो कहते हैं कि वो किसी धर्म को नहीं मानते।
इन्हीं दस सालों के दौरान दोनों क्षेत्रों में मुस्लिमों की संख्या में ८० फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और वो २७ लाख पहुंच गई है।
ब्रिटेन के कुछ शहरी मुसलमानों का मानना है कि, इस्लाम को छोडना गुनाह है और इसकी सज़ा मौत भी हो सकती है। इनमें से लगभग आधे ब्रिटेन में पैदा हुए थे और इनकी उम्र २४ साल से कम है।
अनुभव
ब्रिटेन के अंदर इस्लाम छोड़ने या छोड़ने का इरादा रखने वाले मुसलमान नौजवानों को धमकियां मिल रही है, उन्हें डराया जा रहा है और उनका समुदाय से बहिष्कार किया जा रहा है। कई मामलों में तो उन्हें गंभीर शारीरिक यातनाओं का भी शिकार होना पड़ रहा है।
धर्मपरिवर्तन को लेकर ब्रिटेन में कोई आधिकारिक आकड़ा मौजूद नहीं है । व्यक्तिगत मामलों को लेकर कुछ अध्ययन मौजूद हैं। लेकिन इस्लाम छोड़ चुके ये नौजवान ऑनलाइन अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं।
लंकाशायर की आयशा (वास्तविक नाम नहीं) सिर्फ १४ साल की थीं जब उन्होंने इस्लाम को लेकर सवाल करने शुरू कर दिए. वो क़ुरान का अध्ययन कर रही थीं। उन्होंने हिजाब पहनने से मना कर दिया और आख़िरकार फ़ैसला लिया कि वो इस्लाम छोड़ रही हैं। उसके बाद तो घर में हालात बुरे हो गए।
वो बताती हैं, “मेरे पिता ने मेरे गले पर चाकू रखकर मारने की धमकी दी और कहा कि अगर मैं ऐसा करके परिवार को शर्मिंदा करती हूं तो वो मुझे मार सकते हैं।”
उनके पिता उन्हें बुरी तरह से पीटने लगे । आख़िरकार आयशा को पुलिस को बुलाना पड़ा और उनके पिता को बच्चे के साथ क्रूर व्यवहार का दोषी पाया गया।
आर्थिक स्वतंत्रता जरूरी
२५ साल की आलिया (वास्तविक नाम नहीं) यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के दौरान इस्लाम छोड़ चुकी थीं।
वो मानती हैं कि अब वो अपने घर वापस नहीं लौट सकती हैं। उनके परिवार वालों ने उनकी शादी तय कर रखी थी।
आलिया इस्लाम छोड़ चुके लोगों को ऑनलाइन सलाह देती हैं कि अपने मां-बाप को इस बारे में बताने से पहले वो आर्थिक रूप से स्वतंत्र बने ताकि वो आगे आने वाले हालात का सामना कर पाए।
संदर्भ : बीबीसी