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अब स्कूलों में वेद पढ़ेंगे हरियाणा के छात्र

नई दिल्ली : हरियाणा के स्टूडेंट्स अब अपने सिलेबस की दूसरी किताबों के साथ ‘क्रांति का सूत्र वंदेमातरम्’ भी पढ़ेंगे। उन्हें तीन देवों – ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीन शक्तियों – सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा के बारे में भी बताया जाएगा। हरियाणा की शिक्षा सलाहकार समिति के सदस्य और आरएसएस विचारक दीनानाथ बत्रा ने छठी क्लास से बारहवीं क्लास तक के स्टूडेंट्स के लिए नैतिक शिक्षा की किताबों को फाइनल कर दिया है। सोमवार को एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग) के अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में ये किताबें उन्हें सौंप दी गईं। हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा की रिक्वेस्ट पर बत्रा ने स्टूडेंट्स के लिए नैतिक शिक्षा की ये किताबें लिखी हैं। अगले ऐकडेमिक सेशन से स्टूडेंट्स को सिलेबस के साथ सप्लिमेंटरी रीडिंग के तौर पर नैतिक शिक्षा पढ़ाने की तैयारी की जा रही है।

यह भी है नैतिक शिक्षा में : सभी क्लासेज के लिए नैतिक शिक्षा की किताबों की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई है। उसमें योग सिखाया गया है, वेद सूक्तियां हैं, गीता के श्लोक, बाल क्रांतिकारी, महिला क्रांतिकारी, युवा क्रांतिकारियों के साथ ही देश के गणितज्ञों के बारे में भी बताया गया है। इसमें कबीर-रहीम के दोहों के साथ ही रामायण की चौपाइयां भी हैं। नैतिक शिक्षा की किताब में चार मठ, चार धाम, चार वेद, उपनिषद, अठारह पुराण, द्वादश ज्योतिर्लिंग का भी जिक्र है।

वंदेमातरम् का पाठ : छठी क्लास के लिए लिखी गई किताब में एक पाठ ‘क्रांति का सूत्र वंदेमातरम्’ है। वंदेमातरम् को लेकर विवाद होने के बावजूद किताब में इसे जगह देने की बात पर बत्रा ने कहा कि जरूरी नहीं कि हर बात सबको पसंद आए। देश ने राष्ट्रगीत के तौर पर इसे स्वीकार किया है और संसद में संविधान ने इसे स्वीकार किया है। अगर इसे लेकर कोई विवाद है तो वे जाकर पार्ल्यामेंट में संशोधन करवाएं। इस पर चर्चा हो सकती है पर विवाद नहीं होना चाहिए। हमने नैतिक शिक्षा की सभी किताबों में गीता के कुछ चुने हुए श्लोक डाले हैं जिससे बच्चों में गीता को पढ़ने की रुचि पैदा होगी।

वेद और ब्रह्मा, विष्णु, महेश का जिक्र होने और मुस्लिम समुदाय की किसी पुस्तक या स्थल का जिक्र न होने के सवाल पर बत्रा ने कहा कि वेद तो इतिहास है। हमारा इतिहास वैदिक काल से शुरू होता है तो यह वैदिक काल का इतिहास है। हमने पुस्तक में जिन क्रांतिकारियों के बारे में लिखा है, उनमें मुसलमान भी हैं। पुस्तक में सात साल के बाल क्रांतिकारी मोहम्मद इस्माइल और क्रांतिकारी अशफाक उल्लाह खां के बारे में भी लिखा गया है।

संदर्भ :नवभारत टाईम्स

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