इस विज्ञानयुग मे श्राद्ध करने से ही परिवार सुखी ! – रमेश शिंदे
बिकानेर (राजस्थान) – श्राद्ध करना, यह पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम हैं । लेकीन वर्तमान में इस विधी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा हैं । वास्तविकता तो यह है की, धर्म में हर एक के आर्थिक स्थिति के अनुसार श्राद्ध करने के अलग अलग प्रावधान हैं । श्राद्ध एक शास्त्रीय प्रक्रिया हैं, जिसके कारण अपने पितरों का सद्गती मिलती हैं । पितरों के गती मिलनेसे उनके आशीर्वाद से हम सुखी हो सकते है, तो उनके दुःखी होने से हमारे परिवार मे भी दुःख बढेगा । इसलिए श्राद्ध करना विज्ञानयुग मे भी आवश्यक हैं, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने यहां किया ।
वे हिन्दू जनजागृति समिति की आेर से आनंद-निकेतन में रविवार, २७ सितंबर को पारिवारिक समस्या, पितरों का संबंध और श्राद्धपक्ष इस विषयपर संबोधित कर रहे थे । इसी प्रकार २६ सितंबर को सामुदायिक भवन में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम के आयोजन में श्री.संजय अरोडा, श्री. सावन सोनी, श्री. मुनीष यादव, श्री. दीपित शर्मा इनका सक्रीय सहभाग रहा ।
श्री. शिंदे ने आगे बताया की, पितृपक्ष में श्राद्ध के साथ श्री गुरुदेव दत्त, इस मंत्रजप का बहुत महत्त्व हैं । जिसप्रकार रॉकेट को हवा में उडने के लिए इंधन की आवश्यकता होती हैं, उसी प्रकार पितरों को पितरलोक या भुवलोक से मुक्ती के लिए मंत्रजप या साधना से ही ऊर्जा मिल सकती हैं । इस कारण पितृपक्ष में परिवार के सभी सदस्य अधिक से अधिक दत्तात्रेय देवता का नामजप करें और उससे परिवार में होनेवाले परिवर्तन का अनुभव करें । अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु ९६१०२८१२६० इस क्रमांकपर संपर्क करने का आवाहन भी इस समय किया गया हैं ।