वैशाख कृष्ण पक्ष १०, कलियुग वर्ष ५११६
गुजरात दंगेके नामपर मोदीको प्रताडित करनेवाले तथाकथित सेक्युलरिजम (निरपेक्षतावादी ) इस विषयमें क्यों कुछ नहीं बोलते ?
अथवा कहीं ऐसा तो नहीं कि मरनेवाले हिंदु हैं; इसलिए वे मौन हैं ?
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मुझफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) : लगबग २ सहस्र निःशस्त्र हिंदु कंवल गांवमें आयोजित महापंचायत सभाको उपस्थित रहकर वापस जाते समय गंगा नहरके समीप (जॉली नहरके समीप) धर्मांध जिहादीयोंने उनपर ए.के. ४७ मशीनगन एवं अन्य प्राणविनाशक शस्रोंसे आक्रमण किया, जिसमें अनेक हिंदुओंकी मृत्यु हो गई । धर्मांधोंने सभी मृत व्यक्तियोंको नहरके पानीमें फेंक दिया । अबतक केवल ६ मृतदेह मिले हैं, तब भी अनेक हिंदु तबसे लापता है । यह जानकारी एक प्रत्यक्षदर्शी व्यक्तिने एक अंग्रेजी समाचारपत्रके पत्रकारको दी ।
वैधानिक रूपसे कहा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर दंगेको इस घटनाके पश्चात ही आरंभ हुआ, जिसमें ४५ व्यक्तियोंकी मृत्यु हो गई । तब भी कुल मिलाकर हानि अत्यधिक मात्रामें हुई है, ऐसा कहा जा रहा है ।
१. जॉली नहरका पानी समीप ही हरिद्वार जिलेकी गंगा नदीको जाकर मिलता है । अनेक लोगोंके मृतदेह गंगामें बहकर गए हैं, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है ।
२. प्रशासनने लापता व्यक्तियोंको ढूंढनेमें लापरवाही की है । यदि जॉली नहरका पानी बंद किया होता, तो अनेक हिंदुओंके मृतदेह मिल पाते थे । इसके विपरित इस नहरमें एकाएक अधिक पानी छोडा गया, जिससे अनेक मृतदेह बहकर जानेकी संभावना है ।
३. लापता हिंदुओंके सगेसंबंधियोंने अबतक ४० लापता व्यक्तियोंके प्रकरण पुलिसमें प्रविष्ट किए हैं । बताया जा रहा है कि लापता व्यक्तियोंकी संख्या इससे भी अधिक है ।
४. सरकारका दृष्टिकोण ऐसा है कि अनेक लापता व्यक्तियोंने समीपके जिलेमें अथवा राज्यमें पलायन किया होगा । (प्रशासनने यह शोधन किस संदर्भमें किया ? यदि लापता होनेवाले हिंदुओंके स्थानपर मुसलमान होते, तो क्या प्रशासनने ऐसा ही उत्तर दिया होता ? तथा धर्मांधोंने उसका स्वीकार किया होता ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इसलिए लापता हिंदुओंका शोधन करना कठिन है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात