वैशाख कृष्ण पक्ष १०, कलियुग वर्ष ५११६
सावधान : अब मध्यमवर्गीय एवं उच्च मध्यमवर्गीय हिंदु भी ईसाईयोंका लक्ष्य हैं !
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पुणे (महाराष्ट्र) : ईसाईयोंद्वारा अबतक धर्मशिक्षासे वंचित निर्धन एवं निराधार हिंदुओंको लक्ष्य किया जाता था; परंतु वर्तमान समयमें केवल निर्धन बस्तीमें नहीं, अपितु मध्यमवर्गीय एवं उच्च मध्यमवर्गीय हिंदुओंकी बस्तीमें भी ईसाई प्रवेश करने लगे हैं, यह बात ‘ईस्टर संडे’ के दिन (क्रूसपर चढाया हुआ येशु पुनः जीवित हुआ, वह दिन) पुनः एक बार सिद्ध हो गई । यहांके हिंदु बस्तीमें कुछ ईसाईयोंद्वारा बाईबल एवं ईसाई धर्मकी कथित महानता बतानेवाले हस्तपत्रकोंका वितरण किया जा रहा था । पत्रकोंके माध्यमसे परिवारका ऐसा प्रचार किया जा रहा था कि तनाव दूर करनेका पर्याय आपको बाइबलमें मिलेगा । (ईसाईयोंद्वारा हिंदु बस्तीमें बाइबलके गुण बयान करनेका क्या प्रयोजन है ? बायबलके कारण यदि परिवारव्यवस्थामें आनंद उत्पन्न होता है, तो बाइबलको माननेवाले ईसाई देशोंमें वह उध्वस्त होती हुई क्यों दिखाई देती है ? हिंदुओ, आपके धर्मविषयक अज्ञानका अपलाभ उठाकर उन्हें फसानेवाले षडयंत्री ईसाईयोंसे सतर्क रहें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
हिंदुओ, भ्रमित करनेकी अनेक युक्तियोंका योजन करनेवाले ईसाई…
१. शुक्रवार पेठके मध्यमवर्गीय तथा उच्च मध्यमवर्गीय हिंदु बस्तीमें सुटबुटमें रहनेवाले, अंग्रेजी बोलनेवाले युवक हस्तपत्रकोंका वितरण कर रहे थे ।
२. परिवारको आनंदी बनानेके लिए किस बातकी आवश्यकता है ? प्रेमकी ? पैसोंकी ? अथवा अन्य किसी बातकी ?, ऐसा प्रश्न हस्तपत्रकके मुखपृष्ठपर लिखित रूपमें पूछा गया था ।
३. आप आदर्श पति, पत्नी अथवा अभिभावक कैसे बन सकते हैं, इसका उत्तर केवल बाइबलमें है, उसपर ऐसा लिखा गया था ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात