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इस शख्स के घर बने थे ७/११ के लिए बम

मुंबई : ९ साल पहले ११ जुलाई को मुंबई की ७ लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों में बुधवार को पांच लोगों को फांसी और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा पाए इन दोषियों में एक मोहम्मद अली भी है, जिसके बारे में एटीएस का दावा है कि उसके गोवंडी स्थित घर में ही ७/११ के लिए बम बने थे।

हालांकि मोहम्मद अली सहित सभी आरोपियों ने आरोप लगाया कि एटीएस ने प्रताड़ित करके उनसे जबरन स्टेटमेंट लिए, पर मकोका कोर्ट ने इन आरोपों को स्वीकार नहीं किया और एटीएस व मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए सभी बयानों को फैसला देते वक्त सही पाया।

मोहम्मद अली ने एटीएस जांच टीम और मैजिस्ट्रेट को जो बयान दिया, उसके मुताबिक वह पाकिस्तान में आतंकवादी ट्रेनिंग ले चुका है। उसे ट्रेनिंग के लिए रियाज भटकल ने उकसाया, पर ट्रेनिंग से लौटने के बाद वह रियाज के नहीं, फैजल शेख के संपर्क में आया, जिसे एटीएस ने ७/११ का मास्टममाइंड बताया है।

 

कलेक्शन एजेंट से सिमी तक

मोहम्मद अली के अनुसार, वह बहुत गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। इसी गरीबी की वजह से उसने अपनी पढ़ाई शुरुआती दौर में ही छोड़ दी और एक क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी में कलेक्शन एजेंट बन गया। अली का दावा है कि सन १९९१ में उसे मानखुर्द के दो लोग सिमी की एक मीटिंग में बांद्रा ले गए।

इसके बाद उसे कुर्ला में भी सिमी की कई मीटिंग्स में ले जाया गया और सन १९९३ में सिमी का बाकायदा मेंबर बना दिया गया। वह साल १९९४ में यवतमाल में, नवंबर १९९७ में औरंगाबाद में और जुलाई २००० में जलगांव में सिमी की बैठकों में शामिल हुआ। जलगांव मीटिंग में उसका परिचय जलगांव के आसिफ खान बशीर खान उर्फ जुनैद से करवाया गया। मकोका कोर्ट ने बुधवार को आसिफ खान को भी फांसी की सजा सुनाई है।

पाकिस्तान में ट्रेनिंग

अली ने बताया कि जनवरी, २००३ में रियाज भटकल ने उसे किसी मुशीर के साथ पाकिस्तान जाने के लिए कहा। इसके लिए वे दुबई होते हुए कराची पहुंचे। यहां से उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर एक ऐसी जगह ले जाया गया जहां एक तरफ पहाड़ी थी और दूसरी तरफ समुद्र। यहीं पर मोहम्मद अली, मुशीर को अन्य लोगों के साथ हथियार चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग दी गई। मोहम्मद अली ने वहां कुछ आर्मी के लोगों को भी देखा और आईएसआई के लोगों को भी।

उसने बताया कि ट्रेनिंग के बाद वह दुबई होते हुए काठमांडु पहुंचा जहां नासिर नाम के एक शख्स ने नेपाल बॉर्डर क्रास कराने में उसकी मदद की। मोहम्मद अली के अनुसार मार्च, २००६ में उसे मीरा रोड बुलाया गया, जहां हुई मीटिंग में उसके साथ फैजल, एहतेशाम, आसिफ खान जुनैद और नावेद भी मौजूद थे। इस मीटिंग में ही मुंबई में बम ब्लास्ट की साजिश रची गई।

 

ऐसे बने बम

अली ने बताया कि बम बनाने के लिए फैजल ने उसके घर का इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी जिसके लिए वह तैयार हो गया। जून २००६ में मोहम्मद अली को फैजल ने बताया कि पाकिस्तानी मुंबई में आ गए हैं और ८ से १० जुलाई तक उसके घर में बम बनाएंगे, इसलिए वह अपना घर खाली कर दे।

मोहम्मद अली के अनुसार, ८ जुलाई की शाम को फैजल, नावेद, साजिद अंसारी, एहतेशाम और दो पाकिस्तानी उसके घर आए। उनमें से एक का नाम उसे सोहेल शेख पता चला। उसे यह भी पता चला कि सोहेल मूल रूप से पुणे का रहनेवाला है, पर पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैम्प में रहता है। दूसरा पाकिस्तानी इनासुल्ला था, जो १५ किलो आरडीएक्स के साथ आया था।

अली के मुताबिक ये लोग पूरी रात बम बनाते रहे जबकि डॉक्टर तनवीर घर के बाहर नजर रख रहा था। इसके लिए जुनैद नामक आरोपी उसके घर कई रेग्जीन बैग्, अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर व टाइमर घड़ियां लेकर आया था। बम बनाने का पूरा काम तीन दिन चला और १० जुलाई को इन बमों को सात बैगों में पैक कर दिया गया।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

 

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