महाराष्ट्र सरकार ने १९९३ मुंबई ब्लास्ट केस में फांसी पर लटकाए गए याकूब मेमन पर खर्च की जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
आरटीआई ऐक्टिविस्ट अनिल गलगली ने एक आरटीआई दाखिल कर राज्य सरकार के पूछा था कि अप्रैल १९९४ में याकूब की गिरफ्तारी से लेकर ३० जुलाई २०१५ को उसकी फांसी तक कितना खर्च हुआ है।
गृह विभाग के मुख्य सूचना अधिकारी ने आरटीआई ऐक्ट के नियम ८ (१-सी) के तहत यह सूचना देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
गलगली ने सरकार के इस रुख पर हैरानी जताई है। उन्होंने अब यह कहते हुए नई अपील दाखिल की है कि कांग्रेस की अगुआई वाली पूर्ववर्ती सरकार ने २०१२ में फांसी पर लटकाए गए अजमल कसाब के बारे में पूरी जानकारी दी थी।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स