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कल्पना गिरी हत्या : कांग्रेसी लांच्छन !

वैशाख कृष्ण पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६

कल्पना गिरी हत्या : कांग्रेसियों एवं उनकी कुल राजनितिका प्रातिनिधिक स्वरूप !

चुनावके दौडधूपमें कांग्रेसी राजनेताओंने लातुरके उनके ही पक्षकी नगर प्रधान सचिव अधिवक्ती कल्पना गिरीकी हत्याका प्रकरण दबानेका पूरा प्रयास किया; परंतु वे उसमें सफल नहीं हुए । लातुरके जिलाध्यक्षपदपर महेंद्रसिंह चौहानका चयन होनेपर कल्पना एवं उनमें विवाद हुआ । पुलिसका अनुमान है कि इस विवादके कारण महेंद्रसिंहने समीर किल्लारीकरकी सहायतासे २१ मार्चको कल्पनापर बलात्कार कर उसे तालाबमें फेंककर उसकी हत्या की । चौहान एवं किल्लारीकर पुलिसके नियंत्रणमें है । यही कांग्रेसियों एवं उनकी कुल राजनितिका प्रातिनिधिक स्वरूप है तथा इससे यह स्पष्ट हुआ, कि वर्तमान समयकी राजनीति स्वार्थ, दुश्मनी, सत्ताकी प्यास तथा पदलोलूपतासे कितनी ग्रसित हो गई है ।

राज्य महिला आयोगकी पक्षपाती निष्क्रियता !

हत्या हुए १४ दिन होनेके पश्चात भी राज्य महिला आयोगकी उदगीरकी भूतपूर्व नगराध्यक्षा उषा कांबले (कांग्रेस) एवं राष्ट्रवादी कांग्रेसकी आशा भिसेने कोई कृत्य नहीं किया । इसलिए भाजपाकी महिला दलकी प्रदेश सचिव अधिवक्ती स्मिता परचुरे एवं डॉ.गीतांजली पाटिलने इन सदस्योंके त्यागपत्रकी मांग की है । जिलेमें एक महिलाकी हत्याका इतना बडा प्रकरण होकर भी मूलतः कांग्रेसके ही रहनेवाले महिला आयोगके प्रमुखोंको इसके संदर्भमें कुछ संवेदना नहीं है, यही बात संतापजनक है ! आम तौर पर किसी अहिंदु महिलाके झूठा दिखावा करनेपर भी आकाशपाताल एक करनेवाली इन महिलाओंने गिरीके घर जाकर उनके परिवारजनोंसे भेंट भी नहीं की, यह कांग्रेसी मानसिकताका परिणाम है । इस कारण ऐसा ही कहना पडता है कि पक्षांतर्गत हत्याके प्रकरणमें इन महिलाओंने पक्षपात किया ।

क्या ऐसे महिला आयोगसे साधारण महिलाओंको कभी न्याय मिलनेकी संभावना है ? इस प्रकरणमे शिवसेनाकी विधायक डॉ.नीलम गोरे एवं भाजपाने भी राज्य महिला आयोगकी निर्दयतावर प्रहार करनेपर राज्य महिला आयोगद्वारा मुंहदेखी कार्यवाहीके रूपमें इस प्रकरणका अहवाल मंगाया गया है । कांग्रेसके महिला दलने चेतावनी दी है कि यदि कल्पना गिरीके मृत्युकी सीबीआय जांच नहीं की गई, तो मार्गपर आकर आंदोलन करेंगे । परंतु इसे स्थानीय कांग्रेससे सकारात्मक प्रतिसाद मिलता दिखाई नहीं दे रहा है ।

लोकराज्यकी आर्त चीख !

उपरोक्त सभी घटनाओंपर बारिकीसे ध्यान केंद्रित करते हुए कल्पनाके माता-पिताने कहा, ‘कांग्रेसने हमारे लडकीको बलि चढाया । इसलिए हम मतदानका बहिष्कार कर रहे हैं !’ यह प्रतिक्रिया वर्तमान समयके लोकराज्यकी निरर्थकता दर्शानेवाली आर्त चीख है, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा । लातुर नगरके विविध संगठन एवं महाविद्यालयीन युवक-युवतियोंने एकत्र आकर ‘युथ फॉर जस्टीस’ इस ‘फोरम’ स्थापना की । इस हत्याका सच्चा सूत्रधार अबतक बाहर है । युवकोंद्वारा उसे नियंत्रणमें लेने, गिरी परिवारको सुरक्षा देने तथा कल्पना गिरीका शवविच्छेदन अहवाल प्रसिद्ध करनेकी मांगें की गई हैं; परंतु युवकोंको चाहिए कि वे इस प्रकरणका दृढतासे पृष्ठपोषण करें । कांग्रेसियोंके संदर्भमें आजतकका ऐसा अनुभव है कि ऐसे प्रकरणमें नागरिकोंको धमकियां मिलते ही आंदोलन बंद पडते है । स्वयं कांग्रेसपक्षके ही एक पदाधिकारी महिलाकी मृत्यु होते हुए इस प्रकारसे अन्य नागरिकोंको मार्गपर उतरना पडे, यह कांग्रेसी निष्क्रियताका परिणाम ही कहना पडेगा !

निर्दयी राहुल एवं संवेदनशील मोदी !

राजनेताओंमें राहुल गांधी असंवेदनशीलताके अत्युच्च सीमापर पहुंच गए है ! चुनावपूर्व कालावधिमें लातुरमें राहुल गांधीकी सभा थी ! उन्होंने गिरीकी हत्याके विषयमें एक भी अक्षरका उच्चारण नहीं किया; परंतु ‘‘ भाजपाके प्रधानपदके उम्मीदवार श्री.नरेंद्र मोदीने केवल इस चुनावमें विवाहकी जानकारी दी ’’ । इस विषयपर उन्होंने बोला । राहुलने गिरी परिवारजनोंसे मिलना तो दूर, परंतु कार्यकर्ताओंसे साधारणसी पूछताछ भी नहीं की । महिला सक्षमीकरणके विषयमें ढोल बजानेवाली कांग्रेसकी निरर्थकता इस समय समस्त जनता एवं प्रसारमाध्यमोंकी आलोचनाके लिए कारणभूत सिद्ध हुई । लातूरसे राहुल गांधीकी सभाओंकी भीड भी न्यून हुई । इतनी न्यून हुई कि आगेकी सभाओंके लिए प्रति व्यक्तिको २०० रूपए देनेपर भी उनकी सभाओंके लिए लोग नहीं मिल पा रहे थे । यदि कांग्रेसपक्षकी ही महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेंगी, तो वह पक्ष देशकी अन्य महिलाओंको कैसे सक्षम बनाएगा, इसलिए राहुल गांधीने पलायन किया । राहुल जिस निर्भया योजनाके आर्थिक प्रबंधोंके विषयमें वल्गना कर रहे हैं, ढोल बजाते हुए घोषणा कर रहे हैं, उस योजनाका एक पैसा भी आजतक किसी राज्यमे प्रयुक्त नहीं किया गया है । इस योजनाके अनुसार महिलाओंकी सुरक्षाके लिए महिला पुलिस थाना बनाने जैसी सवंग घोषणा कांग्रेसियोंने की; परंतु वह दस्तावेजपर ही है । महाराष्ट्र राज्यमें भी निर्भया योजना ऐसी ही असफल हो गई है । इसलिए कांग्रेसकी कष्टदायी नीतियां जनसाधारणके प्राणोंका मूल्य नहीं जानते, इससे यही स्पष्ट होता है । इसके विपरित श्री.नरेंद्र मोदीने स्त्री-रक्षाके सूत्रपर ध्यान केंद्रित किया । लातुरकी सभामें उन्होंने गिरीकी हत्याके संदर्भमें निश्चित रूपसे उल्लेख किया, साथ ही गिरी परिवारकी पूछताछ कर उन्हें न्याय दिलानेका आश्वासन दिया, जिससे जनताको स्पष्ट हुआ कि महिलाओंके संदर्भमें वास्तव तडप किसे है ।

हिंदु राष्ट्र ही चाहिए !

इस वर्षके चुनावके परिणाम कुछ भी निकले, परंतु राजनीतिका बीभत्स स्वरूप गिरी हत्याकांडसे स्पष्ट किया गया है । इन कांग्रेसियोंने पिछले ६६ वर्षोंसे देशपर राज्य कर देशका विनाश किया है । ऐसे समय देशको संभालने हेतु केवल नरेंद्र मोदी समान नेताकी एक लहर पर्याप्त नहीं, अपितु छत्रपति शिवाजी महाराजकी नीतियोंको अपनाकर उससे राज्य चलानेवाले जनहितकारी राजनेता मिलना समयकी आवश्यकता है । इसलिए ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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