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अपने महत्त्वपूर्ण आण्विक कार्यक्रमोंकी धज्जियां उडाकर विश्वमें मजाक बना भारत !

वैशाख अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६

राष्ट्रकी सुरक्षाके विषयको हास्यजनक बनानेवाले लोकतंत्र !


‘‘भारतकी सीमासे सटे हुए देश एवं भारतके शत्रुदेशोंको सहायता करनेवाले देशोंने अपना आण्विक शस्त्रोंका सामर्थ्य बढाना आरंभ कर दिया है ।’’ पाकिस्तानके पासका अणुबमका संग्रह, चीनकी  आण्विक शस्त्रोंकी अचाट (जबरदस्त) क्षमता, आजकल भारतमें बढी घुसपैठ, कोरियाद्वारा इन शस्त्रोंकी शीघ्र गतीसे हो रही निर्मिती इस  पार्श्वभूमिपर भारतकी वास्तव स्थिति क्या है ? ‘पोखरन – २’ के रूपमें आण्विक सामर्थ्य बढाने हेतु चलाया गया कार्यक्रम ही आज विवादके घेरेमें है । 

इस अभियानमें (मोहिमेत) सक्रिय एक शास्त्रज्ञ डॉ.के.संतानमने ‘‘ पोखरन – २ कार्यक्रमके अंतर्गत किए गए परीक्षणोंमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी ।’’ ऐसा खलबलीजनक वक्तव्य दिया है । इस अभियानके तत्कालीन प्रमुख भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ.कलामने डॉ.के.संतानमके मतोंका खंडन किया है । दोनोंके दोगानेमें भारतके लष्करप्रमुख मलिक भारतके आण्विक सामर्थ्यके विषयमें संभ्रमित हो गए हैं । ऐसे समय किसका सच मानें, ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है । यह सब नाटक चालू रहते समय देशका भार संभालनेवाले प्रधानमंत्री एवं उनके राजनीतिक सहयोगी इस महत्वपूर्ण प्रश्नको हल करते हुए नहीं दिखाई देते । यह विषय प्रसिद्धीमाध्यमोंद्वारा विश्वके समक्ष आया है । ऐसी स्थितिमें निश्चित रूपसे निर्णय नहीं लिए जाते, यह कितनी गंभीर बात है ?    

जागतिक महासत्ता बननेका सपना देखनेवाले देशके लष्करप्रमुख अपने ही आण्विक कार्यक्रमकी सत्यताके संबंधमें संभ्रमित होनेकी घोषणा करते हैं, भारतके लिए इसकी अपेक्षा हास्यजनक और कौनसी बात हो सकती है ?

इस  देशकी जनताको चाहिए कि केवल ईश्वरपर विश्वास रख अपने सुरक्षित जीवनका सपना देखे, यह सत्य है । इसलिए राष्ट्रकी सुरक्षाके विषयको हास्यजनक बनानेवाले लोकतंत्रको स्थायी रूपसे नष्ट कर ‘हिंदु राष्ट्र’ की स्थापना किए बिना भारतीय जनताको कोई रास्ता नहीं है !

-एक राष्ट्राभिमानी   

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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