जोधपूर के राजपुरोहित छात्रावास में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा उद्बोधन
जोधपूर (राजस्थान) – अच्छी पढाई, नौकरी, व्यवसाय, बंगला, गाडी, परदेशगमन यह आज यशस्वी जीवनकी व्याख्या हो गई हैं । पर ये सब होते हुए भी दुःखी और आत्महत्या करनेवाले लोग आज हम देखते हैं । इससे ध्यान में आता हैं की कुछ भौतिक चिजों को प्राप्त करना यह यशस्वी जीवन नहीं हैं । भौतिकता में सुख और यशस्वीता होती, तो आज विदेशी लोग लाखों की संख्या में भारत में सुख की खोज में नहीं आते । आज देश के विकास के लिए युवाआें को इसे समझकर स्वयंका विकास करना होगा, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राजस्थान समन्वयक श्री. गजाननजी केसकर ने किया ।
राजपुरोहित छात्रावास के छात्रों के लिए ५ अक्तूबर को रात ८ से ९ बजे तक इस व्याख्यान का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम के लिए छात्रावास के व्यवस्थापक श्री. करणसिंहजी राजपुरोहित, श्री. नरसिंहजी राजपुरोहित एवं अधिवक्ता श्री. मोतिसिंहजी राजपुरोहित इनका सहयोग प्राप्त हुआ । इस कार्यक्रम का संचालन समिति के श्री. आनंद जाखोटिया ने किया । इस समय छात्रावास के १०० से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे ।
इस समय अधिवक्ता श्री. मोतिसिंहजी राजपुरोहित ने बताया की, भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति को उजागर करने का कार्य हिन्दू जनजागृति समिति कर रही हैं । छात्रजीवन में अध्यात्म अत्यंत आवश्यक हैं । इसलिए छात्र गीता को पढें । गीता से उन्हे अपने हर समस्या का समाधान प्राप्त होगा । इस समय सभागार में नवरात्री, गौरक्षा एवं संस्कृति का महत्त्व, इस विषयपर प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी ।