वैशाख शुक्पलक्ष १, कलियुग वर्ष ५११६
ऐसे हिंदुनिष्ठ सर्वत्र हो !
हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करनेके प्रकरणमें पुलिसमें परिवाद प्रविष्ट
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मुंबई : गोरेगाव रेल्वेस्थानकके बाहर ईसाई धर्मका प्रचार करनेवाली पुस्तकें वितरित कर हिंदुओंको फंसाकर उन्हें धर्मपरिवर्तित करनेकी इच्छा रखनेवाले चैरीअन सी थान किंबनको स्थानीय हिंदुनिष्ठोंने संगठित रूपसे रोका एवं गोरेगाव पुलिस थानेमें उनके विरुद्ध परिवाद प्रविष्ट किया ।
१. हिंदू जनजागृति समितिके श्री. योगेश सुर्वे गोरेगाव रेल्वेस्थानकके समीपसे जा रहे थे । उस समय चैरीअन आने-जानेवाले व्यक्तियोंको रोककर ईसाई पुस्तके वितरीत कर रहा था । साथ ही ‘येशुकी उपासना करनेसे पत्नीकी बीमारी अच्छी हुई । आपने भी यदि येशुकी उपासना की, तो आपके परिवारके लोगोंकी बीमारियां दूर होंगी’, ऐसा कह वह लोगोंको फंसा रहा था । उसके पुस्तकमें ‘आपको सब पापोंसे केवल येशु ही निर्मल कर सकता है, इसलिए उसकी शरणमें जाओ’, इस प्रकारका लेखन किया गया था । इस समय श्री. सुर्वेने चैरीअनको फटकारा । (हिंदुओंके धार्मिक कृत्य अंधश्रद्धा फैलाते हैं, ऐसा झूठा दिखावा कर उनके पीछे हाथ धोकर लगे अंनिसवालोंको क्या दिनदहाडे येशुका इस प्रकारसे प्रसार कर लोगोंको फसानेवाले ईसाई दिखाई नहीं देते ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. इसपर चैरीअन श्री. सुर्वेकी बात नहीं मान रहे थे, इसलिए सुर्वेने विश्व हिंदु परिषद, बजरंग दल एवं अन्य संगठनोंके कार्यकर्ताओंको आमंत्रित किया । न्युन अवधिमें ही वहां सर्वश्री अरविंद राय, मेहुल रावल, विहिंपके सर्वेश विश्वकर्मा, जय हिंद सेवा संघके संदीप सिंह तथा सनातन संस्थाके निनाद ओक घटनास्थलपर पहुंचे । (धर्महानि रोकने हेतु तत्परतासे एकत्र आनेवाले हिंदुनिष्ठ कार्यकर्ताओंका अभिनंदन ! अन्यत्रके हिंदु इससे सीख लेकर प्रभावी हिंदुसंगठन स्थापित करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. सभीने मिलकर यह चैरीअनद्वारा चल रहा फंसानेका प्रकार रोका । उस समय वहां आए पुलिसकर्मियोंद्वारा सभीको पुलिस थाना ले जाया गया ।
४. हिंदुनिष्ठोंद्वारा पुलिसमें चैरीअनके विरोधमें हिंदुओंके साथ धोखाधडी करने एवं हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको दुखानेके संदर्भमें अपराध प्रविष्ट करनेकी मांग की गई; परंतु वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित नहीं है, ऐसा कारण बताते हुए पुलिसने हिंदुनिष्ठोंको ३ घंटोंतक प्रतीक्षामें रखा । इस कालावधिमें चैरीअनके विरोधमें परिवाद प्रविष्ट होनेहेतु पुलिसने हिंदुनिष्ठोंका मन बदलनेका प्रयास किया; परंतु हिंदुनिष्ठ अपनी मांगपर अडिग रहे । अंततः भारतीय दंडविधान संहिताकी धारा २९८ के अंतर्गत पुलिसकर्मियोंने चैरीयनके विरोधमें अदखलपात्र अपराध प्रविष्ट किया गया । (हिंदु असंगठित होनेके कारण उनका कोई राजनीतिक त्राता नहीं है । इसीलिए पुलिस ऐसे प्रकरण दबानेकी अथवा अदखलपात्र अपराध प्रविष्ट कर समय काटनेका प्रयास करती है ! इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु हिंदु राष्ट्र ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
भाजपाके वरिष्ठोंने ठनकानेपर भाजपाके स्थानीय प्रमुख ईसाईकी शरणागती !
पुलिस थानेमें भाजपाका एक प्रमुख व्यक्ति आया एवं उसने हिंदुनिष्ठोंको ही समझाकर ईसाईके विरुद्ध अपराधकी प्रविष्टि न होने हेतु प्रयास किया । इस विषयमें हिंदुनिष्ठोंने भाजपाके वरिष्ठोंको सूचित किया । वरिष्ठोंने भ्रमणभाषके माध्यमसे समझ देनेपर वह प्रमुख भयभीत होकर पीछे हट गया । पश्चात हिंदुनिष्ठोंको समझा कि वह प्रमुख रुपांतरित ईसाई ही था । (हिंदुओंको फंसाकर धर्मपरिवर्तन करनेका प्रयास करनेवालेका समर्थन करनेवाले ईसाई भाजपवालेके इस उदाहरणसे क्या भाजपावाले कुछ सीखेंगे ? ऐसे ईसाई एवं धर्मांध मुसलमानोंको क्या भाजपावाले दूर रखेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात