वैशाख शुक्ल पक्ष ३, कलियुग वर्ष ५११६
|
मुंबई : पिछले अनेक तारिखोंको ‘हम जो कर रहे हैं, उचित ही है,’ इस पद्धतिसे न्यायालयके प्रश्नोंका सामना करनेवाली कांग्रेस सरकारको अंततःअपनी चूक स्वीकार करते हुए झुकना पडा । आजाद मैदान दंगा प्रकरणमें हानिभरपाई वसूल करनेकी प्रक्रिया पुनः करनेका स्वीकार करते हुए कांग्रेस सरकारने आज न्या. नरेश पाटिल एवं न्या. अनुजा प्रभुदेसाईके खंडपीठके समक्ष अब नए सिरेसे प्रक्रिया करनेके लिए समयकी मांग की । सरकारद्वारा की गई विनतीको स्वीकार कर खंडपीठने अगली सुनवाई १२ जूनको रखी एवं सरकारसे फटकारते हुए कहा कि न्यूनतम अब तो इस कालावधिमें यह प्रक्रिया पूरी करें एवं आवश्यक सभी लोगोंसे हानिपूर्तिकी राशि समझमें लेकर उनतक यह बात पहुंचाए कि हानिभरपाई अवश्य मिलेगी ।
१. सरकारद्वारा अधिक्ता अरुणा पैने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘जिलाधिकारी बदलकर नए जिलाधिकारी आए हैं । उनसे मैंने प्रत्यक्ष संपर्क किया है तथा हम यह प्रक्रिया तेजीसे करेंगे ।’
२.याचिकाकर्ताद्वारा हिंदु विधिज्ञ परिषदके अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकरने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह घटना पुरानी होते जा रही है । इसलिए लोगोंतक विषय पहुंचाने हेतु आवश्यक प्रयास करने चाहिए ।
३. ११ अगस्त २०१२ को आजाद मैदानके दंगोंके कारण समाज, सरकार एवं पुलिसकर्मियोंकी भारी मात्रामें हानि हुई थी । जिन्होंने आजाद मैदानमें आंदोलनका आयोजन किया, उन रजा अकादमी तथा समशेर खान पठान समान आयोजकोंद्वारा यह हानिपूर्ति करा लेनेकी मांग इस याचिकामें की गई थी ।
४. याचिकाकर्ता दैनिक लोकसत्ताके सहसंपादक श्री. संकेत सातोपे एवं सुदर्शन समाचारप्रणालके महाराष्ट्र संपादक श्री. उदय जोशी हैं ।
५. इस दंगेमें महिला पुलिसकर्मियोंका शीलभंग, पुलिस एवं पत्रकारोंके साथ मारपीट तथा पुलिस एवं प्रसारमाध्यमोंके वाहनोंको आग लगाने जैसी अनेक देशद्रोही घटनाएं हुई थीं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात