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रत्नागिरी : राष्ट्रकी धरोहर यशवंतगढका ३५ लाख रुपयोंमें विक्रय किया गया

वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६

छत्रपति शिवाजी महाराजके पराक्रमका प्रमाण देनेवाले गढका विक्रय होते समय महाराष्ट्र दिवस मनानेका महाराष्ट्रके निर्लज्ज कांग्रेस संयुक्त सरकारको क्या अधिकार है ?


कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : रत्नागिरी जिलेके यशवंतगढका विक्रय होनेकी धक्कादायी घटना सामने आई है । सूचना अधिकारके कार्यकर्ता  समीर शिरवडकरने यह सत्य उजागर किया है । (छत्रपति शिवाजी महाराजके पराक्रमका प्रमाण रहनेवाले गढ-किलोंकी महाराष्ट्रकी संयुक्त सरकारको चिंता न रहनेके कारण ही इस प्रकारसे कोई भी उठता है एवं गड-किलोंका विक्रय करनेका साहस करता है । छत्रपतिद्रोह करनेवाले ऐसे राजनेताओंको टकमक टोकसे यदि ढकेल देनेकी मांग लोगोंद्वारा की गई, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. राजापुर तहसीलमें जैतापुर खाडीके किनारेपर बसे नाटे गांवमें सोलहवें शतकमें विजापुरवासियोंने निर्माणकार्य किया गया ऐतिहासिक  यशवंतगढ है । सातबाराकी टिप्पणीके अनुसार इस गढकी मालिकी विश्‍वनाथ रघुनाथ पत्कीके पास है तथा उन्होंने ९९ वर्षोंके करारतत्वपर आंबोलगढके अरविंद तुकाराम पारकरको उसका विक्रय किया है ।

२. उपलब्ध दस्तावेजसे दिखाई देता है कि १८ अक्तूबर २०१२ को ३५ लाख रुपयोंमें गढका विक्रय हुआ है । देश स्वतंत्र होनेके पश्चात सभी गढ राष्ट्रीय संपत्ति बन गए हैं । तो यह गढ उनके मालिकीका कैसा, ऐसा प्रश्न भी इस निमित्तसे उपस्थित किया जा रहा है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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