वैशाख शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
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नई दिल्ली : केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने भारत में अमेरिकी और इजरायली वाणिज्य दूतावासों पर आतंकी हमले की योजना बनाई थी। रिपोर्टो के मुताबिक चेन्नई से गिरफ्तार किए गए श्रीलंकाई नागरिक ने पूछताछ के दौरान इसके प्रमाण दिए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को दावा किया कि श्रीलंकाई नागरिक साकिर हुसैन ने पूछताछ में बताया कि चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और बेंगलूर में इजरायली वाणिज्य दूतावास की टोह लेने की आइएसआइ की कथित योजना के तहत उसे कोलंबो में पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी द्वारा भाड़े पर लिया गया था। हुसैन को विभिन्न देशों के समन्वित ऑपरेशन में २९ अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
रिपोर्टो के मुताबिक उसने पूछताछ में बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी दो लोगों को मालदीव से चेन्नई भेजने की योजना बना रही थी। उसे इन दोनों लोगों के यात्रा दस्तावेज और छिपने के स्थान की व्यवस्था करनी थी। सूत्रों ने बताया कि हुसैन का नाम एक दक्षिण पूर्वी एशियाई देश में जांच के दौरान सामने आया था। इस देश ने भारत में एक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी को अमेरिकी और इजरायली वाणिज्य दूतावासों पर संभावित हमले को लेकर टिप दिए थे। इसके बाद शीघ्र ही सर्विलांस के माध्यम से जांचकर्ताओं को हुसैन के बारे में पता चला जो कि श्रीलंका में लगातार अपना अड्डा बदल रहा था। इस पर जासूसों ने श्रीलंका से मदद मांगी। हुसैन के चेन्नई पहुंचने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में उसने दोनों वाणिज्य दूतावासों पर संभावित हमले के बारे में बताया। पूछताछ में हुसैन ने आमिर जुबैर सिद्दीकका नाम लिया जो कि कोलंबो में पाकिस्तानी उच्चायोग में काउंसलर [वीजा] हैं। उसने बताया कि सिद्दीक ही उसका कथित संचालक है। उसे इसलिए चुना गया क्योंकि वह मानव तस्करी, जाली पासपोर्ट बनाने और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी में लिप्त था। जासूसों ने अमेरिकी और इजरायली वाणिज्य दूतावासों की तस्वीरें बरामद की हैं। इसमें दोनों भवनों के पास के विभिन्न गेटों और सड़कों को दिखाया गया है। सूत्रों का दावा है कि इन तस्वीरों को पाकिस्तान और इसके कोलंबो स्थित उच्चायोग में हुसैन के कथित संचालकों को मेल किया गया है।
स्त्रोत : जागरण