श्रावण कृ ८, कलियुग वर्ष ५११४
ईश्वरपुर (जनपद सांगली), ९ जुलाई – छत्रपति शिवाजी महाराज सर्वधर्मसमभावका प्रतीक थे । ( आदिलशाही, कुतूबशाही, निजामशाही जैसे ५ पातशहोंके दांत खट्टे करनेवाले एवं जीवनकी समस्त लडाइईयां केवल मुलमानोंके विरोधमें लडकर हिंदवी स्वराज्य निर्माण करनेवाले छत्रपति शिवराय सर्वधर्मसमभावी वैâसे हो सकते हैं ? अधिकांश प्रसंगोंमें वे हिंदुत्वनिष्ठ राजा थे, यह ही सिद्ध हुआ हौोफिर भी वल मुसलमानोंके मतोंकी चापलूसीके लिए के लांगुलचे सर्वधर्मसमभावी कहना अर्थात् हिंदुओंकी आंखोंमें धूल फेंकना झोंकना है ! – संपादक ) साधारण मनुष्यके हितकी रक्षा करनेवाला राज्यशासन उन्होंने प्रस्थापित किया । छत्रपति शिवाजी महाराजको कुछ लोगोंद्वारा हिंदुत्वनिष्ठ बताकर उन्हें छोटा बनानेका प्रयास किया जा रहा हैं, ऐसा मत राज्यके ग्रामविकासमंत्री नेयंत पाटिलने व्यक्त किया है । ( स्वयं छत्रपति शिवाजी महाराजने ही अपने राज्यको हिंदवी स्वराज्य कहा था, अर्थात् छत्रपति शिवाजी महाराजकी अपेक्षा जयंत पाटिलको अधिक ज्ञान है, क्या ऐसा से समझ सकते हैं ? यदि छत्रपति शिवाजी महाराजके नामसे हिंदुओंको स्फूर्ति प्राप्त होती है एवं धर्मांध मुसलमान छत्रपति शिवाजी महाराजके जयघोषके कारण क्रोधित होते हैं, तो छत्रपति शिवाजी महाराजको हिंदुत्वनिष्ठ वादी कहनेसंत पाटिलके पेटमें दर्द क्यों होता है ? जयंत पाटिलको इतनी ही चापलूसी करनेकी इच्छा है, तो धर्मांध मुसलमानोंकी बस्तीमें जाकर छत्रपति शिवाजी महाराजका जयघोष करें ! – संपादक ) ईश्वरपुरमें महापालिकाद्वारा निर्मित किए गए छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाका अनावरण नेताओंद्वारा किया गया, उस समय वे बोल ता रहे थे । ( वास्तवमें देखा जाए, तो छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाका अनावरण राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमियोंके हाथों करना अपेक्षित है; परंतु ऐसा न करते हुए स्वार्थी, सत्तालोलुप, मतांध राजनेताओंके हाथों कर ईश्वरपुर नगरपालिकाने निश्चित क्या साध्य किया है ? – संपादक )
उस समय केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवारने कहा कि, शिवरायद्वारा कभी भी किसी एक विशिष्ट जातिका राज्य निर्माण नहीं किया गया । ( एक ओर छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा विशिष्ट जातिका राज्य निर्माण नहीं किया गया, ऐसे कहना और दूसरी ओर दलकी राजनीति जातिपर आधारित करना । ऐसे निरंकुश वक्तव्य करनेवाले स्वार्थी राजनेताओंको अब जनता ही सबक सिखाएं ! – संपादक ) उनकी सेनामें कर्तृत्ववान मुसलमानोंको भी स्थान था । समाजके समस्त जातिधर्मके लोगोंको संगठित कर उन्होंने नेतृत्वका अवसर प्रदान किया ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात