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(अंध)श्रद्धा निर्मूलन कानून पारित किया गया, तो ‘डाऊ’के समान ही शासनको निर्वासित किया जाएगा !

श्रावण कृ ८,  कलियुग वर्ष ५११४

पुणेकी  पत्रकार परिषदमें हिंदुत्वनिष्ठ  संगठनोंकी चेतावनी


(दाएंसे बाएं ) श्री. विद्याधर नारगोलकर, श्री. उत्तम दंडिमे, ह.भ.प.मोहन
शिंदे महाराज, श्री. सुधीर तावरे, श्री. सुनील घनवट, श्री. रामभाऊ पारिख, श्री. विलास दीक्षित

पुणे, १० जुलाई (संवाददाता) – वारकरियोंसे चर्चाके उपरांत ही (अंध)श्रद्धा निर्मूलन कानून पारित किया जाएगा, ऐसा  कहनेवाले मुख्यमंत्री अब अपनी बातसे पलट गए हैं,  यह हमारा विश्वासघात है । यदि शासनद्वारा यह कानून पारित  किया गया,  तो ‘डाऊ’ प्रतिष्ठानके समान ही कांग्रेस शासनके दोनों पक्षोंको निर्वासित किया जाएगा, ऐसी चेतावनी महाराष्ट्र राज्य वारकरी महामंडलके उपाध्यक्ष ह.भ.प. मोहन शिंदे महाराजद्वारा दी गई है ।

पत्रकार भवनमें हिंदु जनजागृति समितिद्वारा आयोजित पत्रकार परिषदमें वे बोलरहे थे । उस समय शिवसेनाके श्री. रामभाऊ पारिख, ‘हिंदुस्तान निर्माण दल’के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री. विलास दीक्षित, स्वतंत्रता वीर सावरकर स्मृति प्रतिष्ठानके श्री. विद्याधर नारगोलकर, ‘श्रीयोग वेदांत समिति’के श्री. प्रकाशभाई कनोज, हिंदु स्वाभिमान प्रतिष्ठानके अध्यक्ष श्री. उत्तम दंडिमे, हिंदु जनजागृति समितिके श्री. सुनील घनवट एवं श्री. सुधीर तावरे उपस्थित थे ।

अंनिसके आर्थिक व्यवहारोंके अनाचार के विषयमें पूछताछ करें ! – विद्याधर नारगोलकर

अंधश्रद्धाके नामपर हिंदुओंकी श्रद्धासे शासन खिलवाड नहीं करें । इस कानूनकी संकल्पना प्रस्तुत करनेवाले अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके आर्थिक व्यवहारोंके अनाचारके  विषयमें शासन कुछ भी पूछताछ नहीं करता, ऐसा प्रश्न श्री. नारगोलकरद्वारा उपस्थित किया गया है ।

शासनकी दोहरी भूमिका ! – उत्तम दंडिमे

श्री. दंडिमेने बताया कि, धर्मसे संबंधित कानून बनाते समय उस समितिमें धर्माधिकारी व्यक्तियोंको सम्मिलित क्यों नहीं किया जाता ? ईश्वर एवं धर्मको न माननेवाले नास्तिक व्यक्तिएकत्रित आकर धर्मके विषयक कानून कैसे बना सकते हैं ? एक ओर श्रीविठ्ठलकी पूजा करना एवं दूसरी ओर (अंध)श्रद्धा निर्मूलन कानून पारित करनेका वक्तव्य करना, यह शासनकी दोहरी भूमिका है ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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