नई दिल्ली – देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में नयनतारा सहगल समेत २१ लेखकों द्वारा साहित्यिक सम्मान लौटाने की घोषणा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आरएसएस ने कहा है कि, हिंदू धर्म को विकृत करने और भारत को नष्ट करने के प्रयासों में सेक्युलर ग्रंथि से पीड़ित कुछ असहिष्णु कलमकारों ने अपने तमगे लौटा दिए हैं।
संघ ने कहा, ‘देश में चाहे जो शासन पसंद हो, इन्हें नेहरू मॉडल से अलग कुछ स्वीकार नहीं। वहीं, नेहरू जिन्होंने १९३८ में जिन्ना को लिखे पत्र में गोहत्या करना मुसलमानों का मौलिक अधिकार माना था। कांग्रेसी राज्य रहने पर गोहत्या जारी रखने का वचन दिया था। इतना ही नहीं गोहत्या जारी रखने के लिए प्रधानमंत्री पद तक छोडने की घोषणा की थी।’
अपना प्रहार जारी रखते हुए संघ के मुखपत्र पांचजन्य के ‘दिन पलटे, बात उलटी’ शीर्षक के संपादकीय में कहा गया कि, हिंदू धर्म को विकृत करने वाले ऐसे लेखकों को वही नेहरू मॉडल चाहिए। सिख दंगों के दोषियों के हाथों से सम्मानित होने में ये बुद्धिजीवी आहत नहीं हुए थे। अल्पसंख्यक की सेक्युलर परिभाषा सिर्फ एक वर्ग तक सिमटी है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स