हिंदुद्वेषी कांग्रेस सरकारद्वारा हिंदू जनजागृति समितिके वेबसाईटपर पुनः प्रतिबंध

वैशाख शुक्लपक्ष १०, कलियुग वर्ष ५११६

हिंदु जनजागृति समितिके जालस्थलपर लगाए प्रतिबंधका पाचवा दिन !

अश्‍लील विषयोंसे संबंधित जालस्थलोंपर प्रतिबंध लगानेकी अपेक्षा राष्ट्र-धर्म प्रेमी जालस्थलोंपर प्रतिबंध लगानेवाला कांग्रेस शासन क्या राज्य करनेकी पात्रताका है ?

मुंबई : हिंदु जनजागृति समितिके जालस्थलपर हिंदुद्वेषी कांग्रेस शासनकी ओरसे पुनः एक बार प्रतिबंध लगाए जानेकी घटनाको अब पाच दिन हुए हैं । समितिने कहा कि यह बात स्पष्ट हुई है कि केंद्रशासनद्वारा इंटरनेट सुविधा देनेवाले प्रतिष्ठानोंको भेजे परिपत्रकमें समितिके साथ ही अन्य भी कुछ जालस्थलोंपर प्रतिबंध लगाए जानेकी बातको स्पष्ट किया है ।

१. ५ मईको सायंकालसे वोडाफोन नामक दूरसंचार प्रतिष्ठानद्वारा दी जानेवाली इंटरनेट सुविधाद्वारा हिंदु जनजागृति समितिका जालस्थल पाठकोंको दिखाई देना बंद हुआ । उन्होंने इस संदर्भमें समितिसे संपर्क करनेपर ऐसा स्पष्ट हुआ कि समितिको प्राप्त जानकारीके अनुसार समितिके जालस्थलके साथ ही अन्य कुछ जालस्थलोंपर प्रतिबंध लगाया जानेका परिपत्रक वोडाफोन नामक दूरसंचार प्रतिष्ठानको मिलनेके कारण उन्होंने उनकी इंटरनेट सुविधासे समितिका जालस्थल ब्लॉक किया ।  

२. वोडाफोनसमान ही इस प्रकारका परिपत्रक केंद्रशासनद्वारा अन्य दूरसंचार प्रतिष्ठानोंको भी भेजे जानेकी बात सामने आई है; परंतु उनके द्वारा अबतक वह ब्लॉक न किए जानेसे देशमें अनेक स्थानोंपर यह जालस्थल राष्ट्रप्रेमी और धर्मप्रेमियोंको देखना संभव हो रहा है । इसलिए अनेकोंने समितिसे प्रतिबंधके संदर्भमें पूछताछ की है ।

३. दो वर्ष पूर्व केंद्रशासनद्वारा समितिके जालस्थलोंपर प्रतिबंध लगाए जानेपर कुछ दिनोंमें चरण दर चरण सर्व दूरसंचार प्रतिष्ठानोंद्वारा यह जालस्थल ब्लॉक किया गया था । समितिने बताया है कि इस समय भी ऐसा हो सकता है, वोडाफोनके माध्यमसे इसका आरंभ हुआ है ।

समितिकी ओरसे ऐसा आवाहन किया गया है कि वोडाफोनसमान ही अन्य दूरसंचार प्रतिष्ठानोंकी इंटरनेट सुविधापर समितिका जालस्थल दिखना बंद हो जानेपर राष्ट्रप्रेमी और धर्मप्रेमी निम्न पतेपर समितिको सूचित करें ।
Email : [email protected]
Phone : 09370640014

 


 

हिंदुद्वेषी कांग्रेस सरकारद्वारा हिंदू जनजागृति समितिके वेबसाईटपर पुनः प्रतिबंध

वैशाख शुक्लपक्ष ९, कलियुग वर्ष ५११६

  • कांग्रेसकी मुगलाई ! हिंदुद्वेषी डॉ. जाकिर नाईकने ठीक गणेशोत्सवमें फेसबुकसे भगवान श्रीगणेशजीका अपमान करनेपर उनके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट होते हुए भी कांग्रेस सरकारने उसपर कार्यवाही नहीं की; परंतु हिंदुओंके संकेतस्थलोंपर खरा समाचार प्रसिद्ध करनेके कारण प्रतिबंध !
  • हिंदुओ, समाजको नीतिहीन बनानेवाले अश्‍लील संकेतस्थल बंद करनेके प्रति उदासीन कांग्रेसी राजनेता समाजको धर्मशिक्षा देनेवाले एवं राष्ट्रप्रेम जागृत करनेवाले हिंदू जनजागृति समितिके संकेतस्थलपर त्वरित प्रतिबंध लगाते हैं, जानें !

कांग्रेस इस भ्रममें न रहे कि इस प्रतिबंधका ‘तृतीय अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन’पर कुछ परिणाम होगा !

नई देहली : वर्तमान समयमें असम राज्यमें बोडो हिंदु एवं घुसपैठिए बांग्लादेशीयोंमें पुनः एक बार हिंसाको आरंभ हो गया है । इस हिंसाका समाचार सभी प्रसारमाध्यम एवं संकेतस्थलोंपर प्रसारित हो रहा है; परंतु केंद्रकी कांग्रेस सरकारने यह हिंसा रोकने हेतु  उपाययोजना करनेपर जोर देनेके स्थानपर अनेक संकेतस्थलोंपर प्रतिबंध लगाया है । इसमें हिंदु जनजागृति समितिके संकेतस्थलका भी समावेश है । वर्ष २०१२ में जिस समय असममें बोडो हिंदु नागरिक एवं घुसपैठिए बांग्लादेशीयोंने दंगे मचे थे, उस समय ऐसा ही प्रतिबंध लगाया गया था । असममें कांग्रेस पक्षकी सरकार है । ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अपनी अकार्यक्षमतापर पर्दा डालने हेतु सरकारने संकेतस्थलोंको प्रतिबंधित करनेका कदम उठाया है ।

१. अगस्त २०१२ में प्रतिबंधित संकेतस्थलोंमें हिंदू जनजागृति समितिके ‘हिंदुजागृति डॉट ऑर्ग’ संकेतस्थलका भी समावेश था । समितिद्वारा वैधानिक रूपसे लडाई करनेपर यह प्रतिबंध हटाया गया था; परंतु समितिके संकेतस्थलके ‘फेसबुक पेज’पर लगाया गया प्रतिबंध अबतक नहीं हटाया गया ।

२. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समाचारपत्रसे पता चला है कि अब पुनः २० संकेतस्थल एवं ब्लॉगोंपर प्रतिबंध लगाया गया है, जिसमें हिंदू जनजागृति समितिके हिंदु जागृति डॉट ऑर्ग संकेतस्थलका समावेश है अथवा नहीं, इस संदर्भमें वैधानिक रूपसे सूचित नहीं किया गया है; परंतु एक इंटरनेट सेवा देनेवाले आस्थापनके स्थलोंपर ऐसे परिवाद आए हैं कि ये संकेतस्थल दिखाई नहीं दे रहे हैं ।

३. अनेक अधिवक्ताओंका मत है कि प्रतिबंध लगानेसे पूर्व संबंधित संकेतस्थलोंको स्पष्टीकरण देनेका अवसर उपलब्ध कर देना चाहिए, इस संकेतका पालन भी केंद्रशासनने नहीं किया है । इसलिए यह प्रतिबंध अवैध सिद्ध होता है ।

४. वर्ष २०१२ में असममें हुई हिंसाकी प्रतिक्रियाएं महाराष्ट्र एवं केरल राज्योंमें भी उभरी थीं । इस अवसरपर ३०० से अधिक संकेतस्थल एवं यू ट्युबपर दर्शाए जानेवाले दृश्य-श्राव्य चक्रिकापर भी प्रतिबंध लगाया गया था ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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