नई देहली : उच्चतम न्यायालय ने तलाक कानून में संशोधन के प्रस्ताव के साथ आने और देश में समान नागरिक संहिता लाने को लेकर इच्छा बताने के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है।
न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘हमने न्यायालय में मौजूद सालिसिटर जनरल से इस मामले में गौर करने का आग्रह किया है। उन्होंने तीन सप्ताह का समय मांगा है। तीन सप्ताह के बाद इसे सूचीबद्ध किया जाए।’’ पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है । हमें समान नागरिक संहितापर काम करना चाहिए। इस के साथ क्या हुआ ? अगर आप (सरकार) इसे करना चाहते हैं तो आप को यह करना चाहिए। आप इसे तैयार करके लागू क्यों नहीं करते।’’ न्यायालय ने जुलाई में विधि एवं न्याय मंत्रालय से अपना जवाब देने और तलाक कानून की धारा १० ए की उपधारा (१) में संशोधन के मुद्देपर निर्णय लेने के लिए कहा था।
शीर्ष न्यायालय देहली के एक व्यक्तिद्वारा दायर जनहित याचिकापर सुनवाई कर रही थी जिस में ईसाई दंपतियोंको तलाक के लिए कम से कम दो वर्ष के इंतजार के लिए मजबूर करनेवाले कानूनी प्रावधान को चुनौती दी गई क्यों कि अन्य धर्मोंके लिए तलाक की समयावधि एक वर्ष है।
स्त्रोत : झी न्यूज