वैशाख शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
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बीजिंग : त्रेता युग में लंका पर विजय प्राप्ति में भगवान श्रीराम की सेना रह चुके बंदरों पर अब चीन को भी भरोसा हो चला है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीजिंग के समीपवर्ती एक वायु सैनिक अड्डे की रक्षा में मदद के लिए बंदरों के एक दल को प्रशिक्षित किया है। ये प्रशिक्षित बंदर उड़ानों के लिए खतरा साबित हो रहे पक्षियों के झुंड का ध्यान रखेंगे।
चीन की एअर फोर्स न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, बंदरों के इस बटालियन को नजदीक के पेड़ों पर चिडिय़ों के घोंसलों को नष्ट करने और विमानों के उड़ान भरने और उतरने के दौरान चिडिय़ों को भगाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इस अड्डे की सटीक जगह का खुलासा नहीं किया गया है।
इस अड्डे पर चिडिय़ों की समस्या से निपटने के लिए हर तरीका आजमाया गया। पटाखे से लेकर हौवा से डराने तक और यहां तक कि आग्नेयास्त्र का भी प्रयोग किया गया लेकिन ये सभी तरीके बंदरों के जितने प्रभावी साबित नहीं हो सके। चीन के सैनिक दायरे में बंदरों को अब मजाक में चीनी सेना का नया गुप्त हथियार कहा जा रहा है। चीन जासूसी पक्षियों को भी प्रशिक्षित कर रहा है।
ओसामा बिन लादेन को मारने में हुआ बेल्जियन शेफर्ड का इस्तेमाल
दुनियाभर की पुलिस और सेना में अब तक डॉग स्क्वॉयड ही सबसे सफल रहा है। अमेरिका ने दुनिया के सबसे खुंखार आतंकी और अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने में भी बेल्जियन शेफर्ड का इस्तेमाल किया था।
बारूदी सुरंगों को ढूंढने में अमेरिका करता है डॉल्फिन का उपयोग
पालतु जानवरों के सेना में प्रशिक्षण और इस्तेमाल का यह पहला मामला नहीं है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार अमेरिका में सुरंग बम की तलाश के लिए डॉल्फिन मछलियों का इस्तेमाल किया जाता है।
पाकिस्तान के पास हैं कबूतर जासूस
भारत की जासूसी कराने के लिए पाकिस्तान कबूतरों का इस्तेमाल करता है। इस तरह का एक कबूतर चार साल पहले मई २०१० में अमृतसर के पास पकड़ा गया था। उसके पैरों में जासूसी यंत्र लगे हुए थे और पंख पर लाल रंग से पाकिस्तानी नंबर लिखे हुए थे।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर