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ईराकी आयातोल्ला ने कहा, ‘महिलाआें का अपहरण और चर्चों को नष्ट करना वास्तविक इस्लाम है !’

कुछ ही समय पूर्व एक भेंटवार्ता में इराक के प्रमुख शिया मौलवी आयातोल्ला अहमद अल-हुसैनी अहमद अल-बगदादी ने कुछ महत्त्वपूर्ण वक्तव्य किए हैं । आपको बता दें की, आयातोल्ला इस्लाम में मौलवियों को दी जानेवाली एक उच्च पदवी है । उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस्लाम और शेष संसार कभी एक साथ शांतिपूर्ण क्यों नहीं रह सकते ।

आयातोल्ला के अनुसार, जब परिस्थिति अनुमति दे अथवा अनुकूल हो, जब मुसलमान पर्याप्त शक्तिशाली हों, तब मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे युद्ध करें और गैर-मुसलमानों पर विजय प्राप्त करें । यदि गैर-मुसलमान यहूदी अथवा ईसाई हैं, तो उनके पास तीन विकल्प हैं : वह इस्लाम धर्म अपना लें अथवा जिजया टैक्स का भुगतान करे । परंतु यदि वह इन दोनों विकल्पों से मना करता हैं, तो हम उनसे लडाई करते हैं, उनकी महिलाआें का अपहरण करते हैं और उनके चर्च आदि प्रार्थनास्थल नष्ट करते हैं । यदि गैर-मुसलमान हिन्दू अथवा बौद्ध हो तो उन्हें इस्लाम अथवा युद्ध में से एक विकल्प चुनना होगा । – यही इस्लाम है ।’

उन्होंने अंत में कहा कि, ‘यह अहमद अल-हुसैनी अल-बगदादी का विचार नहीं है परंतु न्यायशास्त्र के सभी पांच समूहों का यही विचार है । मुसलमानों को आक्रमक जिहाद छेडने की आवश्यकता है । यह अल्लाह के शब्द हैं ।’

स्त्रोत : फ्रंटपेजमॅगझिन

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