दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका दीदी माला रावल ने कहा कि भारत देश में स्त्री भगवान का रूप है। यहां स्त्री की पूजा होती है। यही ऐसा देश है जहां मां का स्थान भगवान और गुरु के समान है। वे यहां आशापुरा माता मंदिर में मातृशक्ति दुर्गावाहिनी की ओर से आयोजित जननी सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थी।
माला दीदी ने कहा कि हिंदू संस्कृति दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है। यहां चंदा को मामा और सूरज को दादा कहा जाता है। यह हमारी संस्कृति और संस्कार है। इसी धरा पर रानी लक्ष्मीबाई, रानी पद्मावती, हाड़ी रानी जैसी वीर माताओं का जन्म हुआ। हम सभी का कर्तव्य है कि नारियों का सम्मान करें। बेटियों की गर्भ में हत्या न करें। बहू को बेटी की तरह प्यार दें। संयुक्त परिवार में रहें। दादा-दादी की गोद बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह है।
परिवार संस्कारों की पाठशाला है। संयुक्त परिवार में ही बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार मिलते हैं। संस्कृति का क्षय होने के कारण ही बेटियां लव जिहाद का शिकार हो रही है। बेटियां याद रखे कि गोमांस खाने वाला कभी प्रेमी नहीं हो सकता। गाय की हत्या करने वाला हमारा सगा नहीं हो सकता। दीदी ने स्वदेशी अपनाने का संदेश भी दिया।
स्त्रोत : अजमेरनामा