वैशाख पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११६
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दक्षिणी दिल्ली : राजधानी के युवा बाली उम्र में ही नशे की गिरफ्त में फंस रहे हैं। दिल्ली के युवाओं की कमाई का एक बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च हो रहा है। हाल में किए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ है शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों से मामूली जुर्माना वसूलकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। इनमें से कुछ लोग रिश्वत देकर बच भी जाते हैं।
यह सर्वे पिछले दिनों कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग यानी कैड नामक संस्था ने किया है। कैड के संस्थापक प्रिंस सहगल के अनुसार २५ वर्ष से कम आयु वाले लोगों को शराब बेचने पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए तो सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या में जरूर कमी आएगी। उनका कहना है कि शराब न पीने वाले ज्यादातर लोगों का ऐसा ही मानना है। गौरतलब है कि देश में सड़क दुर्घटना में प्रतिवर्ष एक लाख ३८ हजार लोगों की जान जाती है। इस आंकड़े में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या अच्छी खासी है।
लड़कियां भी शामिल
सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में ८४ फीसद लड़के और ६४ फीसद लड़कियां १८ साल की उम्र पूरी होने से पहले ही शराब के आदी हो जाते हैं। जबकि दिल्ली में शराब खरीदने के लिए कानूनी रूप से न्यूनतम आयु २५ वर्ष होनी चाहिए। सर्वे में सामने आया है कि ३४ फीसद युवा और २८ फीसद युवतियां हफ्ते में दो से चार बार शराब पीते हैं। यह भी पता चला है कि राजधानी के ४४ फीसद लड़के और २४ फीसद लड़कियां शराब पर प्रतिमाह ४००० से ८००० हजार रुपये तक खर्च करते हैं।
नहीं होती जांच
कम उम्र में शराब की लत के बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहां पब या दुकान पर शराब खरीदते समय कभी किसी से आयु प्रमाणपत्र की मांग नहीं की जाती। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थल या किसी भी जगह कार खड़ी कर शराब पीने वालों की भी जांच नहीं की जाती है। देर रात को पब से निकलने के बाद सड़कों पर लापरवाही से गाड़ियां चलाने वालों की जांच नहीं की जाती है।
स्त्रोत : जागरण