ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष २, कलियुग वर्ष ५११६
जिन हिंदुनिष्ठोंमें क्रोध एवं द्वेषका अंतर्भाव है, वे हिंदु राष्ट्रकी स्थापना कैसे करेंगे ? यदि स्थापना हुई, तो वे भविष्यमें कार्य कैसे करेंगे ?
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काठमांडू (नेपाल) : हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेका यहांके कांतिपुर एफ.एम. रेडियोपर ‘भक्ति संदेश’ कार्यक्रममें ‘हिंदु राष्ट्र’के विषयपर श्री. जनार्दन घिमिरेद्वारा साक्षात्कार आयोजित किया गया था । उस समय पू. डॉ. पिंगळेने हिंदु धर्मकी परिभाषा स्पष्ट की । साथ ही यह भी बताया कि यह बात लगातार सिद्ध हुई है कि धर्ममें बताए गए तत्त्वोंके अनुसार आचरण करनेपर मनुष्य एवं समाजकी प्रगति होती है ।
धर्मनिरपेक्षताका विकल्प, क्या इसीलिए हिंदु राष्ट्रकी स्थापना होनी चाहिए ? क्षात्रधर्मका क्या अर्थ है एवं उसकी भूमिका क्या है ? यदि भारतमें हिंदु-मुसलमान विवाद करते हैं, तो हम हिंदु राष्ट्रकी स्थापना कैसे करेंगे ? इस अवसरपर पू. डॉ. पिंगळेद्वारा ऐसे अनेक प्रश्नोंके उत्तर प्राप्त हुए ।
क्षणिकाएं
१. कार्यक्रम प्रातः ५.१५ से ६.१० तक था । किंतु श्रोताओंने साक्षात्कारके अंतमें उत्स्फूर्तरूपसे प्रश्न पूछे ।
२. कांतिपुर एफ.एम. रेडिओके कार्यक्रम निर्माता श्री. जनार्दन घिमिरेने प्रश्नोंके उत्तर सुननेके पश्चात पू. डॉ. पिंगळेको बताया कि मैंने आजतक अनेक हिंदु संगठनोंके लोगोंसे बातचीत की एवं साक्षात्कार आयोजित किए; किंतु आपके समान ध्येयके प्रति सुस्पष्टता एवं कटिबद्धताका दर्शन किसीमें नहीं हुआ । आपके वक्तव्यमें कहीं भी किसीके प्रति द्वेष तथा क्रोध प्रतीत नहीं हुआ । मुझे ही यह प्रश्न हुआ कि जिन हिंदुनिष्ठोंमें क्रोध एवं द्वेषका अंतर्भाव है, वे हिंदु राष्ट्रकी स्थापना कैसे करेंगे ? यदि स्थापना हुई, तो वे भविष्यमें कार्य कैसे करेंगे ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात