मोदीजीके सामनेकी चुनौतियां !

ज्येष्ठ कृष्णपक्ष ३, कलियुग वर्ष ५११६

चुनावके उपरांत संपूर्ण दृष्टिसे पुनर्विलोकन करनेपर सर्वेक्षण करनेवाली सभी संस्थाओंने ऐसी भविष्यवाणी की है कि प्रधानमंत्रीके उम्मीदवार श्री नरेंदी मोदीजीका भारतीय जनता पक्ष देशमें सबसे अधिक सांसदोंका पक्ष होगा । वर्ष २०१४ का चुनाव  ‘श्री मोदीजीका चुनाव’ इस रूपमें पहचाना जाएगा । इस चुनावमें ‘मोदी समर्थक’ एवं ‘मोदी विरोधी’ इस प्रकार केवल दो पक्षोंद्वारा चुनाव लडा गया । अर्थात पूरा चुनाव मोदीकेंद्रित था । कांग्रेसियोंकी ओरसे श्री मोदीजीकी जो भी आलोचनाएं की गर्इं, उनका स्वयं एवं पक्षकी राजनीतिके लिए लाभ उठानेमें श्री. मोदीजी सफल हुए । स्थानीय पक्षोंने भी श्री. मोदीजीको लक्ष्य करनेका प्रयास किया; परंतु इन सबका उन्होंने सफलपूर्वक सामना किया । चाहे भले ही श्री.मोदीजीको विपक्षियोंद्वारा दी गई चुनौतियां समाप्त हो गई हो, तब भी उन्हें अब पक्षांतर्गत नेताओंमें समन्वय करनेकी लडाई लडनी है ।

श्री.मोदीजीको कठिन समस्याओंका सामना करना पडेगा !

एक ओर श्री मोदीजीके गुटने मंत्रीपदके लिए २० नेताओंकी सूची सिद्ध की है । तबतक दूसरी ओर ध्यानमें आया कि उधर संसदके भूतपूर्व विपक्ष नेता सुषमा स्वराज तथा गोपीनाथ मुंडे आदि अप्रसन्न हैं । पक्षके वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणीका क्या करेंगे, ऐसा प्रश्न भाजपाके साथ पूरे देशके माध्यमोंके सामने उपसि्थत हुआ । इसी समयमें श्री मोदीजीको सत्ता स्थापित करनेमें यदि संख्याबलका अभाव रहा, तो राष्ट्रवादी कांग्रेससे ममता बैनर्जी, जयललिता एवं मायावतीजीकी सहायता लेनेका सोचविचार भी भाजपामें चालू है । अर्थात मोदीजीको निशि्चत रूपसे अब भाजपाकी आंतरिक राजनीतिपर भी समाधान ढूंढना पडेंगा । साथ ही यदि उपरोक्त पक्षोंसे सहायता लेनी पडी, तो उनका मन रखनेकी कठिन समस्याका भी सामना करना पडेगा ।

जनताको श्री.मोदीसे सर्वाधिक अपेक्षाएं  !  

यहां संदेह है कि कि क्या श्री.मोदीजीकी सरकार भी भाजपाके भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयीकी सरकारकी तरह छोटे पक्षोंके खूंटेको बंधी ‘मजबूत सरकार’ बन पाएगी ? श्री मोदीजीको भी इस बातकी कल्पना है; परंतु प्रश्न उठता है कि क्या इस समस्यापर उनके पास समाधान है ? इस चुनावमें नागरिकोंने भाजपासे अधिक श्री.मोदीपर विश्वास रखकर भाजपाके उम्मीदवारोंको मत प्रदान किए, जिससे नागरिकोंके ‘एक सेवकको अवसर दें’ ऐसा संकेत करनेवाले श्री.मोदीजीकी कूटनीति, विकासकी दृष्टि, विजिगीषु मानसिकता तथा दृढता आदि गुणोंका राष्ट्रको लाभ हो, ऐसी अपेक्षा है । ऐसे अवसरपर श्री.मोदीजीको भाजपाके अंतर्गत विद्यमान कांग्रेसी मानसिकताके नेताओंको नियंति्रत करना आवश्यक है । इन सभी नेताओंके अधिकारोंपर श्री. मोदीजी स्वयं नियंत्रण रखे, यह समयकी आवश्यकता है । जनहितके निर्णयके लिए श्री.मोदीजीने किसीभी प्रकारके समझौतेका स्वीकार नहीं करना चाहिए, अन्यथा अज्ञातवासमें जानेकी इच्छा रखनेवाले कांग्रेसी पुनः इस देशके टुकडे करने सिद्ध हो जाएंगे ।

क्या राहूल विपक्ष नेता बनना स्वीकार करेंगे ?

सत्ता स्थापित करनेके पश्चात श्री मोदीजीका प्रवास कुछ मात्रामें आसान रहेगा; क्योंकि विपक्षके बेंचपर कांग्रेस रहेगी । कांग्रेसके प्रधानमंत्रीपदके कथित उम्मीदवार राहूल गांधी चुनावके पश्चातकी थकान दूर करने  (अथवा पराजयसे मुंह छुपाने) विदेश चले गए हैं । प्रत्यक्ष सत्तामें रहनेपर अत्यंत न्यून समयमें लोकसभामें उपसि्थत रहनेवाले, कुछ गिनेचुने भाषण करनेवाले एवं कृति्रम आक्रमकताके  अधीन रहनेवाले राहूल गांधी क्या विपक्षनेतापद स्वीकार करेंगे ? यह प्रश्न कांग्रेसियोंके भी मनमें है । इसकी अपेक्षा वे डॉ.मनमोहनसिंहके समान कोई ‘रबरस्टैंप’ ढूंढ सकते हैं । संकेत हैं कि संभवतः वे विपक्षनेताका पद शरद पवार, मुलायमसिंह यादव अथवा अन्य किसीके मत्थे मढेंगे । इसलिए श्री.मोदीजीको विपकि्षयोंकी चिंता करनेका कारण नहीं है ।

श्री. मोदीजीसे हिंदुओंको भी बडी अपेक्षाएं हैं !

सत्ता स्थापित करनेके उपरांत देशकी खोखली अर्थव्यवस्था, पूरे देशमें फैला आतंकवाद, देशमें स्थापित हुए छोटे छोटे पाकिस्तान, बांग्लादेशी घुसपैठिए, किसानोंकी आत्महत्या, महिलाओंकी असुरक्षा, मूलभूत सुविधाओंका अभाव, प्रांतवाद एवं भाषावाद समान प्रश्नोंमेंसे समय निकालकर श्री. मोदीजीको चाहिए कि वे प्राथमिकतासे हिंदुत्वके धर्मपरिवर्तन, गोहत्या, तथा ‘लवजिहाद’ समान आघातोंपर उपाययोजन करें, ऐसी हिंदुओंकी उचित मांग है । श्री.मोदीजीने जिस प्रकार गुजराथमें धर्माधोंके कुकृत्योंको नियंति्रत कर गुजराथ दंगामुक्त किया, उसीप्रकार भारत दंगामुक्त हो, ऐसी हिंदुओंकी अपेक्षा है । वस्तुतः आजसे वैधानिक रूपसे मोदीजीके सरकार स्थापित करनेका प्रयास आरंभ हो रहे हैं । सत्ता स्थापित करने हेतु श्री.मोदीजीको समस्त हिंदुओंकी ओरसे शुभकामनाएं ! ईश्वरसे प्रार्थना है कि श्री मोदीजीको उपरोक्त सभी समस्याओंका सामना करते समय हिंदु धर्मके उच्च मुल्योंको प्रत्यक्ष रूपसे आचरणमें लानेकी शक्ति मिले ।

 

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​