श्रावण कृ ८, कलियुग वर्ष ५११४
डोंबिवली – एक विवाह समारोहमें हिंदु जनजागृति समितिके श्री. अजय संभूसने संतोष जाधव नामक एक हिंदु युवकको गलेमें ईसाईयोंका क्रॉस धारण किए हुए देखा । श्री. संभूसने इस युवकका प्रबोधन किया । तत्पश्चात उसने गलेसे क्रॉस निकाला । ( हिंदु युवकका प्रबोधन कर उसे गलेमें धारण किया हुआ ईसाईयोंका क्रॉस निकालनेके लिए बाध्य करनेवाले श्री. अजय संभूसका अभिनंदन ! हिंदु युवकोंको धर्मशिक्षा न मिलनेसे ही वे धर्माभिमानशून्य हो गए हैं । इससे स्पष्ट होता है कि हिंदुओंको धर्मशिक्षाकी कितनी आवश्यकता है ! – संपादक )
श्री. अजय संभूस एक विवाह समारोहमें गए थे । वहां उन्होंने देखा कि एक युवकने अपने गलेमें ईसाईयोंका क्रॉस धारण किया है । श्री. संभूसद्वारा पूछा जानेपर उसने अपना नाम संतोष जाधव बताया । उसे क्रॉस पहननेके विषयमें पूछनेपर उसने उत्तरमें कहा कि मैं एक हिंदु हूं एवं सर्वधर्म समभाव मानता हूं । इस अवसरपर श्री. संभूसद्वारा उसे पूछा गया कि यदि ईसाईयोंको इस प्रकार अपने हिंदु देवी-देवताओंका पदक गलेमें धारण करनेके लिए कहा गया, तो क्या वे पहनेंगे ? उसने प्रत्युत्तरमें ‘नहीं’, मुझसे चूक हो गई कहकर क्रॉस निकाला ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात