संशोधनद्वारा तंत्रज्ञानका प्रभावी उपयोग करनेवाला इसरायल !

ज्येष्ठ शुक्लपक्ष ३, कलियुग सर्ष ५११६

इसरायल नाम लिया तो हमें प्रथम इसरायलकी ‘मोसाद’ नामक विश्वविख्यात गुप्तचर संगठनका स्मरण होता है । संगठनकी फौजी सिद्धता, प्रत्येक नागरिकको बलपूर्वक फौजी प्रशिक्षण, दुसरे महायुद्धमें  यहूदियोंको प्रताडित करनेवाले जर्मनीके फौजी अधिकारियोंको युद्धसमाप्त होनेपर पूरे विश्वमेंसे ढूंढकर अर्ंतराष्ट्रीय न्यायालयके समक्ष उन्हें लानेकी इसरायलकी विजीगीषु मानसिकता.. …अधिकांश लोग इसरायलको युद्ध अथवा युद्धके संदर्भमें विविध कथाओंसे संलग्न देश मानते हैं । १४ मईको इसरायलका स्वातंत्र्यदिन मनाया गया । इस निमित्तसे इस देशका प्रगतिका लेखाचित्र प्रसिद्ध कर रहे हैं ।

१. पानी एवं अनाजके उत्पादनका अकाल होते हुए भी ६० वर्षोंमें बडी उन्नति भरनेवाला इसरायल

इसरायलके प्रत्येक नागरिकने अपना व्यक्तिगत भविष्य अपने देशके साथ जोडा, यही इसरायलकी प्रगतिका रहस्य है । इसरायलकी लडाईके पीछे २ सहस्र वर्षोंका इतिहास है; परंतु उनको मिली स्वतंत्रता केवल ६० से ६२ वर्षोंकी है । यह कहना अचूक होगा कि दि.१४.५.१९४८ को इसरायल नामक देशका अस्तित्व हुआ । इन ६० वर्षोंमें इसरायलने बडी उन्नति की । पानी एवं अनाजके उत्पादका अकाल होते हुए भी इस प्रकारकी उन्नति करनेकी घटना वास्तवमें प्रशंसा करने एवं भारतके साथ विश्वके अन्य देशोंके लिए अनुसरण करनेयोग्य है ।

२.इसरायलद्वारा अत्याधुनिक तंत्रज्ञानकी सहायतासे तांत्रिक प्रगतिकी दिशामें की गई उन्नति

२.अ. पानी

२.अ.१. समुद्रके पानीसे पीनेका पानी सिद्ध करना : समुद्रके नीरस एवं खारे पानीसे सीधे पीनेका पानी उत्पन्न करनेका तंत्रज्ञान इसरायलने प्रगत किया । हम उनका ‘वाईट हाऊस’ नामक बडा प्रकल्प देखने गए थे । किसी शक्कर उद्योगालय (कारखाना) समान यह प्रकल्प है । अवास्तव यंत्रसामग्री, रासायनिक मिश्रणका अत्यधिक बडा सिलेंडर, बडे-बडे ‘वॉटरबेड‘ इन सब वस्तुओंमेंसे पानीका प्रवाह जाता आता रहता है । पश्चात उसमें पुनः पीनेके पानीके लिए कुछ उचित द्रव्य मिलाकर पीनेका पानी सिद्ध होता है । इस प्रकल्पमें प्रतिदिन कुछ दशलक्ष लिटर पानी सिद्ध होता है ।

२ अ. २. पानीकी प्रक्रिया करते समय बिजली भी उत्पन्न होनेके कारण बिजलीके लिए अलगसे व्यय करनेकी आवश्यकता न रहना : इसरायलियोंसे पूछा गया, ‘इतनी सारी प्रक्रियाओंसे सिद्ध पानी बहुत महंगा रहनेके कारण सर्वसाधारण लोगोंको कैसे बन पडेगा ?’ इस समय उन्होंने जानकारी दी कि पानीकी प्रक्रिया करते समय उसी पानीके उपयोगसे बिजली उत्पन्न होती है । इस बिजलीपर ही पूरा प्रकल्प चलता था । इसके लिए बिजलीका अलगसे व्यय करनेकी आवश्यकता नहीं थी । कच्ची सामग्री अर्थात समुद्रका पानी निःशुल्क उपलब्ध होता था । इसके अतिरिक्त यह प्रक्रिया चालू रहतेमें पीनेके लिए अयोग्य पानी खेतीके लिए उपलब्ध करा दिया जाता है, जिसका इस प्रतिष्ठानको अलगसे उत्पन्न मिलता है ।

२ अ.३.गंदे पानीका शुदि्धकरण कर उसका खेतीके लिए उपयोग करना : गंदे पानीपर प्रक्रियाके व्यवसायमें भी उन्होंने ऐसी ही प्रगति की । कालेभोर एवं बदबूवाले पानीका सभी अनावश्यक भाग (तेल, ग्रीस एवं कूडा आदिसे युक्त पानी ) यांत्रिक प्रक्रियाके माध्यमसे निकाला जाता है, जिससे कुछ मात्रामें शुद्ध होकर वह पानी भूमिमें संग्रहित किया जाता है । इसमें खेतीके लिए अनुकूल खनिज मिलाकर खेतीके लिए उसका विक्रय किया जाता है । ये सब प्रक्रियाएं यंत्रद्वारा की जाती है  । इसके लिए भूमिके नीचे विद्युतपंप होते हैं । जिनपर यंत्रद्वारा ही ध्यान रखा जाता है । कुल प्रयुक्त पानीका ७५ प्रतिशत हिस्सा पुनः उपयोगमें लाया जाता है । आगामी कुछ वर्षोंमें इस अनुपातको ९५ प्रतिशततक बढानेका प्रयास चल रहा है । इसके लिए प्रयोगशालामें संशोधन चालू रहता है ।

२ आ. कूडा

२ आ.१. कूडेकी कच्ची सामग्रीपर हवाकी प्रक्रिया करना : कूडेके व्यवस्थापनमें इसरायलने बडी क्रांति की है । इसके लिए अलग अलग आस्थापनोंके बडे-बडे व्यक्तिगत उद्योगालय हैं, जहां कूडा जमा होता है । कूडा डालनेसे इन आस्थापनोंके आसपास कूडेके बडे पहाड सिद्ध हो गए हैं । कूडेकी कच्ची सामग्री आनेपर उसपर प्रथम हवाकी प्रक्रिया की जाती है । अर्थात एक बडे घुमते हुए पैनेलद्वारा कूडेको हवाके झोंकके समक्ष लाया जाता है, जिसके कारण हवाकी सहायतासे कूडेमें सि्थत उडकर जानेसमान जो कुछ है (प्लासि्टक, कागज अथवा डोरीके टुकडे आदि ) उडकर एक बडे बरतनमें /(पिंपमें) गिरता है । पश्चात शेष कूडेपर पानीकी प्रक्रिया होकर कूडेमें सि्थत जड पदार्थोंकीr गंदगी निकल जाती है । गंदगीके हटनेके पश्चात वह कूडा डाला जाता है ।

२ आ.२. भूमिकी भरती करने हेतु इस कूडेका उपयोग करना : भूमिकी भरतीके लिए इस कचरेका उपयोग किया जाता है । अपने देशमें भूमिको समतल करने हेतु किसी स्थानकी मिट्टी खोदकर वहां गड्ढा किया जाता है । इसरायलमें इसके लिए कूडेका उपयोग किया जाता है । एकत्रित कूडेका ७५ प्रतिशत कूडा ‘लैंडफिल्ड‘ के लिए उपलब्ध किया जाता है अर्थात उसका विक्रय किया जाता है, जो आस्थापनके आयका प्रमुख भाग होता है । कूडा उपयोगमें आनेसे पूर्व सडकर उसका मिट्टीमें रुपांतर हो जाता है, जिसके कारण यह कूडा भूमिके लिए   उपयुक्त सिद्ध होता है ।

२ आ.३. सडाए गए कूडेपर प्रक्रिया कर खेतीके लिए खाद बनाना : कूडा व्यवस्थापनका और एक नया तंत्र है ‘यौगिक खाद’ बनाना । सडाया गया कूडा मिट्टीसदृश होते ही उसपर पुनः रासायनिक प्रक्रिया कर उसमें खाद मिलाई जाती है । पश्चात खेतीके लिए इस मिट्टीका खादके रूपमें विक्रय किया जाता है ।

२ आ.४. शेष कूडेका उपयोग अर्थात बेकार वस्तुसे टिकाऊ वस्तु बनाना : शेष कूडा अर्थात प्लासि्टककी रिक्त बोतलोंसे अनेक शोभाकी वस्तुएं सिद्ध की जाती हैं । मानो उन्होंने कूडेका कोई हिस्सा व्यय न होने देनेकी शपथ ली हो । कुर्सीपर डाली जानेवाली फोमकी गादियां भी कूडेसे सिद्ध की गई है । प्रथम बार देखनेपर विश्वास नहीं होता ; परंतु जब उन वस्तुओंको सिद्ध होते समय देखते हैं, तो विश्वास रखना पडता है । देखनेके लिए यह उद्योगालय खूला रखा गया है । वहां बच्चोंके लिए खिलौने हैं, जो इस प्रकारकी बेकार वस्तुओंसे बनाए गए थे ।

२ इ. खेती

२ इ १. ‘ठिबक सिंचन’ ( ‘ड्रीप इरिगेशन’) द्वारा खेती करना : इसरायलकी खेती संशोधनका विषय है । हमारे पास खेतीके लिए भारी मात्रामें पानीका उपयोग किया जाता है । आजकल बिजलीकी कोई  निशि्चती नहीं रहती । आना-जाना चालू रहता है । इसकारण कुछ लोगोंने पंपका बटन चालू ही रखकर सोनेका उपाय ढूंढ निकाला, जिससे  बिजलीके आते ही पंपद्वारा खेतमें पानी बिलकुल बह जाता है । पानीका ऐसा अपव्यय नहीं बन पडेगा, यह ध्यानमें लेकर इसरायलने ‘ड्रीप इरिगेशन’ अर्थात ‘ठिबक सिंचन’ ढूंढ निकाला । इसका सूत्र है जितना आवश्यक है, उतना ही पानी प्रयुक्त करना । इसका तंत्र है कि तनिक भी पानी व्यर्थ न जाने देना ।

२ इ २. अत्याधुनिक तंत्रज्ञानसे उत्पादनमें वृदि्ध करना :  इसी पद्धतिसे सब प्रकारकी खेतीको पानी दिया जाता है । अनेक प्रकारके फलशाक, सबि्जयां तथा अनाज भी उत्पन्न किया जाता है । खेतीमें बोना, पेरना, कृषिकर्म एवं फसलमें सतत संशोधन कर अत्याधुनिक तंत्रज्ञानका उपयोग कर उत्पादनमें वृदि्ध की । वहांके अधिकांश कार्य यंत्रद्वारा ही किए जाते हैं ।

२ ई. तांत्रिक प्रगति

२ ई १. यंत्रद्वारा अल्प जनसंख्याके अभावकी पूर्ति करना : इसरायलकी जनसंख्या केवल ७० लाख है । फलस्वरुप वहां कामकी तुलनामें मनुष्यबल न्यून है । परंतु इस अभावको इसरायलियोंने यंत्रके माध्यमसे दूर किया है । एक जलशुदि्धकरण आस्थापनमें विचार-विमर्श चालू था । उस समय सहज रुपसे श्रमिकोंकी संख्याके विषयमें पूछनेपर समझमें आया कि केवल ५० लोग मिलकर एक बडा उद्योगालय चलाते हैं । रात्रिके समय तो केवल दो ही लोग आस्थापनका पूरा काम देखते हैं । वे केवल परदेपर ( सि्क्रन) देखते हैं । इसलिए आस्थापनमें जो चालू है, पूरा दिखाई देता है । किसी अडचनके आनेपर संगणकके माध्यमसे उसपर तत्काल समाधान ढूंढा जाता है । ५० श्रमिकोंमें भी केवल १० लोग ही केमिकल इंजिनियर थे । इसका अर्थ यह कि जलशुदि्धकरणके लिए आवश्यक रसायनोंका प्रमाण एक बार निशि्चत किया तो काम पूरा हो गया । तदुपरांत उसपर केवल ध्यान देना होता है ।

२ ई.२. यंत्रद्वारा मार्गकी सफाई करना : इसरायलमें मार्गोंको भी यंत्रके माध्यमसे ही स्वच्छ किया जाता है । सवेरे गाडियां आकर ये काम कर जाती हैं । इन गाडियोंको भी केवल एकेक व्यक्ति ही चलाते हैं ।

– राजू इनामदार, (दैनिक लोकसत्ता, २९.५.२०११)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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