-
गत कुछ दिनों में इस घटना सहित उत्तरप्रदेश के अनेक शहरों में नवरात्रोत्सव की विसर्जन यात्राआें पर आक्रमण किया गया । हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं । क्या यह धार्मिक असहिष्णुता नहीं है ?
-
इसे देखकर, साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकारों को पुरस्कार लौटाने की इच्छा क्यों नहीं होती ? – सम्पादक, हिन्दूजागृति
लखनऊ – कन्नौज, फतेहपुर, बांदा में तनाव शांत नहीं हुआ कि कानपुर में धार्मिक पोस्टर फाडने को लेकर हुए विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया। जिहादीयोंने पथराव किया और देसी बम फोडे। पुलिस ने उन्हें दौडाया तो फायरिंग कर दी जिसमें दो लोग घायल हुए। कई अन्य जिलों में भी मुहर्रम के जुलूस के दौरान झडपें हुईं। कई जगह पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा जिससे कई लोग घायल हुए।
कानपुर में कल रात जुलूस के समय दर्शनपुरवा में कट्टरपंथी लोगों ने चाय की दुकान पर लगे हिन्दुआें के धार्मिक पोस्टर को फाडने के बाद उसे रौंद डाला था, जिसके बाद दो समुदाय आमने सामने आ गये। सुबह हिंदूवादी संगठनों को इसकी भनक लगी तो विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रदर्शनकारीयोंने अल्पसंख्यक पक्ष को क्षमा मांगने की अपील की । आइजी जोन आशुतोष पांडेय और एडीएम सिटी अविनाश सिंह ने अल्पसंख्यक को माफी मांगने पर राजी किया आैर आश्वासन दिया कि अब, मुहर्रम जुलूस नहीं निकाला जाएगा।
इसी बीच अल्पसंख्यक के पक्ष से सपा विधायक इरफान सोलंकी पहुंच गए और अधिकारियोंकी निंदा करते हुए वह मुहर्रम जुलूस निकलवाने पर अड गए। विधायक के दबाव में प्रशासन ने मुहर्रम जुलूस को हरी झंडी दी तो हालात बिगड गए । जुलूस में शामिल लोगों ने नारेबाजी की तथा पथराव शुरू हो गया। जिहादीयों ने जमकर फायरिंग की और बम चलाए व बसों-ट्रेनों पर पथराव किया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले और हवाई फायरिंग से भीड को तितर बितर किया। कट्टरपंथियोंने दो मोटर साइकिलों को आग के हवाले कर दिया गया।
स्त्रोत : जागरण