हम मद्रास उच्च न्यायालय के इस सुझाव का अभिनंदन करना चाहते है । इस प्रकार के दंड केवल बलात्कार के लिए नहीं अपितु अन्य अपराधों के लिए भी बनाने चाहिए । जिससे अपराधी, अपराध करने से पहले उसके परिणामों का विचार करें और दंड के भय से अपराध ना करे । – हिन्दूजागृति
चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि मासूम बच्चोंसे बलात्कार करनेवाले लोगोंको शारीरिक संबंध बनाने के अयोग्य बना देना चाहिए। शुक्रवार को बलात्कार के एक मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने बच्चोंसे बलात्कार करनेवाले लोगोंको बधिया करने का निर्णय सुनाया।
न्यायालय ने कहा कि बच्चोंके साथ इस तरह की हरकतें देश में ‘सजा के क्रूरतम मॉडल को आकर्षित करती हैं।’ न्यायालय ने कहा कि, बहुत से लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे, लेकिन परंपरागत कानून ऐसे मामलों में सकारात्मक परिणाम नहीं दे सके हैं। बधिया करने का सुझाव बर्बर लग सकता है, किंतु इस प्रकार के क्रूर अपराध ऐसी ही बर्बर सजाओंके लिए माहौल तैयार करते हैं।
न्यायाधीश एन. किरुबकरन ने कहा, ‘हर किसी को समाज की इस कडवी सच्चार्इ को समझना होगा और सुझाई गई शिक्षा की प्रशंसा करनी चाहिए।’ न्यायालय ने एक विदेशी नागरिकद्वारा बच्चे के यौन शोषण के मामले में केस रद्द करने की याचिका को निरस्त करते हुए यह निर्णय लिया। न्यायालय ने दिल्ली में पिछले सप्ताह दो बच्चियोंसे सामुहिक बलात्कार के मामलोंको संज्ञान में लेते हुए यह बात कही।
उच्च न्यायालय के जज ने ऐसे मामलोंको ‘खून जमा देने वाला’ करार देते हुए कहा कि ऐसे क्रूर अपराधियोंके लिए बधिया किया जाना ही एक सजा हो सकती है। जज ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि बच्चोंसे बलात्कार करने के मामलों में सिर्फ २.४ प्रतिशत लोग ही दोषी ठहराए जाते हैं।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स