ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
![]() |
नई दिल्ली : लोकसभा में हर तीसरा नवनिर्वाचित सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। इस आशय का खुलासा सांसदों द्वारा भरे गए शपथ पत्र के आधार पर हुआ है।
नेशनल इलेक्शन वाच (एनईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने ५४३ में ५४१ सदस्यों के शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि १८६ या ३४ प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुलासा किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं।
२००९ में ३० प्रतिशत लोकसभा सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले थे। इसमें अब चार प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक २०१४ के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले एक प्रत्याशी के जीतने की संभावना १३ प्रतिशत रही, जबकि साफ छवि के प्रत्याशियों के मामले में यह पांच प्रतिशत रही।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले १८६ नए सांसदों में से ११२ ने अपने खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि जैसे गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि झारखंड के जमशेदपुर से विजयी रहे भाजपा प्रत्याशी और महाराष्ट्र के सतारा से विजयी रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रत्याशी के शपथ पत्रों का विश्लेषण नहीं हो पाया है क्योंकि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर दिए गए उनके शपथ पत्र अधूरे-अस्पष्ट मिले हैं।
पार्टी वार विश्लेषण में सबसे ज्यादा सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं। पार्टी के २८१ सदस्यों में से ९८ या ३५ प्रतिशत ने अपने शपथ पत्र में आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। भाजपा ने २८२ सीटें जीती हैं।
कांग्रेस के ४४ में से ८ (१८ प्रतिशत), एआईएडीएमके के ३७ में से ६ (१६ प्रतिशत), शिवसेना के १८ में से १५ (८३ प्रतिशत) और तृणमूल के ३४ विजेताओं में से ७ (२१ प्रतिशत) ने आपराधिक मामले दर्ज होने का खुलासा किया है।
स्त्रोत : एनडीटीवी