ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष ७/८, कलियुग वर्ष ५११६
१. 'पाकिस्तानमें सौसे अधिक जिहादी संगठन हैं, जिनकी पाकिस्तान सरकारको संपूर्ण रूपसे धारणा है ।
२. १० लाखसे भी अधिक इन जिहादी आतंकवादियोंको पाकिस्तानी लश्करसे सेवानिवृत्त अधिकारी ही युद्ध स्तरकी प्रशिक्षा दे रहे हैं । इन सभीका आय.एस.आय.से आदान प्रदान है ।
३. कुल मिलाकर २ लाख जिहादी एवं अन्य मिलकर भारतके विरोधमें जिहादी निधिका संग्रह करनमें लिप्त हैं ।
४. हैद्राबाद, सरहानपुर, आजमगढ, बरेली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, वाराणसी, सिवान (बिहार), पटना, सीतामढी, कटिहार, किशनगंज, गया एवं मधुबनीमें रहनेवाले भारतीय जिहादी पाकिस्तानके आय.एस.आय.संगठनके संपर्कमें है । साथ ही आय.एस.आय.संगठनने दावा किया है कि इन नगरोंमें रहनेवाले जिहादी पाकिस्तानी लोगोंके संपर्क एवं नियंत्रणमें भी हैं ।
५. यदि जिहाद चालू हुआ, तो भारतके १ करोडसे अधिक धर्मांध जिहादी निश्चित रूपसे भारतीय सैन्यके विरोधमें शस्र उठाएंगे ।
६. भारतमें स्थित मदरसाओंके लिए ६०० करोड रुपए रखे गए हैं ।
७. 'युनाइटेड जिहाद कौन्सिल' (United Jehad council) नामक जागतिक अतिरेकी संगठनका प्रमुख कार्यालय पाकिस्तानके कराचीमें है एवं अमेरिकाको इसकी संपूर्ण जानकारी है ।
८. संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप (खंड) इस्लामके लिए रसद पूर्ति करनेवाला प्रमुख स्थल है । वहांसे संपूर्ण विश्वको इस्लामी बनाने हेतु साधन उपलब्ध होनेवाले हैं ।
९. 'समय आनेपर साधारण ५० वर्षोंमें हम पूर्णतः सिद्ध होंगे', इस प्रकारकी उनकी युद्धनीति है ।
पाकिस्तानी सैन्यके प्रत्येक अधिकारी एवं सैनिकोंको ‘’हिंदु डरपोक एवं कायर हैं । एक मुसलमान १० हिंदुओंको पराजित कर सकता है । हिंदुओंमें शूरताका रक्त नहीं है’’, ऐसा संदेश दिया जा रहा है ।
– श्री. आर.पी. भसीन (एड्वोकेट, सुप्रीम कोर्ट, ७६ बजाज भवन, नरीमन पॉर्इंट, मुंबई ४०००२१ (महाराष्ट्र)) (मासिक सावरकर टाइम्स, जून २०१०)
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात