‘महाराष्ट्र में उत्पादित एवं विक्रय किए जानेवाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादोंके सूचनापत्रक एवं आच्छादनोंपर मराठी भाषा का उपयोग न करनेवाले प्रतिष्ठानोंपर दंड का अवलंब करें !’ – महाराष्ट्र शासनद्वारा परिपत्रक !
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा दिए गए निवेदन के पश्चात राज्य शासनद्वारा परिपत्रक जारी !
हिन्दुओ, इसके लिए ईश्वर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करें !
मुंबई : महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम, १९६४ के अनुबंधोंके अनुसार १ मई १९६६ से वर्जित प्रयोजनोंके अतिरिक्त सभी कामकाज मराठी में करना बंधनकारी किया गया है।
तब भी राज्य में उत्पादित एवं विक्रय की जानेवाली इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, संगणकीय प्रणाली, सूचना तंत्रज्ञान उपकरण, भ्रमणभाष इत्यादि वस्तुओंके सूचनापत्रक एवं आच्छादनोंपर राजभाषा मराठी का उपयोग नहीं हो रहा है, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के ध्यान में आया।
इसलिए इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस एवं शिक्षामंत्री श्री. विनोद तावडे से निवेदनद्वारा ऐसी मांग की गई थी कि, मराठी का उपयोग न करने के विषय में उपरोक्त संबंधित प्रतिष्ठानोंको दंडित किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में विधिमंडल के पिछले अधिवेशन में विधायकोंके माध्यम से यह विषय उपस्थित भी किया गया था।
अंततः इस पर ध्यान देकर महाराष्ट्र शासन के आस्थापन विभागद्वारा इस संदर्भ में परिपत्रक निकाल कर उस में महाराष्ट्र में सूचनापत्रक एवं आच्छादनोंपर मराठी का उपयोग न करनेवाले आस्थापनोंपर हिन्दू जनजागृति समिति के निवेदन के अनुसार त्वरित उचित कार्यवाही करने तथा सभी विभाग एवं कार्यालयोंद्वारा इस आदेश का कार्यान्वयन किए जाने की सूचनाएं दी गई हैं।
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रसिद्ध पत्रक में समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेद्वारा यह जानकारी दी गई है।
हिन्दू जनजागृति समिति के निवेदन में प्रस्तुत अन्य सूत्र …..
१. वैद्यकीय, न्यायालयीन, शैक्षणिक, इलेक्ट्रॉनिक इत्यादि क्षेत्रों में विक्रय किये जानेवाली सामग्री पर भारी मात्रा में अंग्रेजी भाषा का उपयोग कर मराठी भाषा को जानबूझकर दुर्लक्षित किया जा रहा है तथा महाराष्ट्र की अधिकांश मराठी जनता के साथ धोखेबाजी की जा रही है।
२. अधिकांश औषधियोंके आच्छादनोंपर की जानकारी तथा भ्रमणभाष संच, शीतपेय एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादोंकी जानकारी मराठी के अतिरिक्त अंग्रेजी, हिन्दी अथवा उर्दू इत्यादि भाषाओं में दी जाती है। इन उत्पादोंके सूचना पत्रक भी मराठी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में होते हैं। यह मराठी भाषा पर अन्याय है साथ ही मराठी भाषी लोगोंपर किया गया अन्याय एवं दबाव तंत्र है।
३. यह जानकारी मराठी भाषा में न होने के कारण, उस पर क्या लिखा है, यह ग्रामीण क्षेत्रीय लोग इसे समझ नहीं पाते। इसलिए उनके साथ धोखा होने की संभावना भी अधिक होती है।
४. हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा मुख्यमंत्री के ध्यान में यह बात लाई गई कि, शासन परिपत्रक क्रमांक – कपासू-२०१४/प्र.क्र.९४/भाषा-२ के अनुसार राज्य में विक्रय की जानेवाली सभी वस्तुएं, उत्पादित तथा विक्रय किए जानेवाले प्रत्येक भ्रमणध्वनि उपकरण, संगणकीय प्रणाली एवं सूचना तंत्रज्ञान उपकरण में मराठी भाषा उपयोग में लाने, पढने एवं टंकलिखित करने की सुविधा होने के संदर्भ में सूचनाएं दी गई हैं; परंतु कहीं भी उसका अनुपालन हो रहा है, ऐसा दिखाई नहीं देता !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात