ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष ७/८, कलियुग वर्ष ५११६
कर्णावती : यहांके मार्वेल कलाकक्षमें ९ मईसे विविध चित्रकारोंके चित्रोंकी प्रदर्शनी लगाई गई है । यह प्रदर्शनी ८ जूनतक चलेगी । इसमें हिंदुद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसेनद्वारा रेखांकित चित्र रखे गए थे । उस समय हिंदु जनजागृति समितिके प्रतिनिधियोंद्वारा कलाकक्षके स्वामीका प्रबोधन करनेपर हुसेनके द्वारा रेखांकित सभी चित्र हटाए गए ।
१. हिंदु जनजागृति समितिके प्रतिनिधि श्री. भूषण मांडे एवं श्री. पंकज रामीने कलाकक्षके स्वामी धन्वी शहासे भेंट की । उनसे इन चित्रोंकी प्रदर्शनी तथा विक्रय न करनेकी विनती की । शहाने कहा कि ये चित्र महंगे हैं अत: उनके विक्रय न होनेपर आर्थिक हानि हो सकती है । हुसेनका देहांत हो चुका है अत: इस कारण अब चित्रोंका विक्रय करना अनुचित नहीं होगा । मेरे पास जो चित्र हैं, वे अश्लील अथवा विडंबनात्मक नहीं हैं ।
२. इसपर समितिके प्रतिनिधियोंने प्रबोधन करते हुए कहा कि हुसेन हिंदुद्वेषी थे । उनके देहांतके पश्चात उनके चित्रोंका विक्रय करना, अर्थात उन्हें जीवित रखनेका ही प्रयास है । इससे पाप बढता है । चित्रोंका विक्रय न करनेसे अध्यात्मिक स्तरपर लाभ हो सकता है ।
३. इसपर श्री. शहाने प्रश्न किया कि अन्य कलाकक्षोंसे भी हुसेनद्वारा रेखांकित चित्रोंका विक्रय होता होगा, उसका क्या ? उस समय समितिके प्रतिनिधियोंने कहा कि आप ऐसे व्यक्तियोंद्वारा रेखांकित चित्रोंका विक्रय न करने हेतु प्रबोधन कर सकते हैं । वह आपकी साधना होगी तथा धर्मकार्यमें सहायता भी होगी । तदुपरांत श्री. शहाने हुसेनद्वारा रेखांकित चित्र कलाकक्षसे हटानेकी बात मान ली ।
४. दो दिन पश्चात समितिके श्री. रामी तथा श्रीमती रामीके कलाकक्षमें पहुंचनेपर हुसेनद्वारा रेखांकित चित्र हटाए गए थे; किंतु ४ चित्र अभी भी लगे थे । श्री. रामीको देखते ही शहाने शेष चित्र भी हटा लिए ।
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात