जिस बात को न्यायालय समझती है क्या वह राज्यकर्ताआें को समझ में नहीं आती होगी ? फिर भी वे केवल मतों के कारण आरक्षण हटाने का निर्णय नहीं लेते । यह विद्यमान लोकतंत्र की निरर्थकता है । हिन्दूजागृति
नई दिल्ली – चिकित्सकीय (मेडिकल) संस्थानों में सुपर-स्पेशिऐलिटी कोर्स में प्रवेश के लिए आरक्षण के विषय में दिए निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, इस में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए । क्योंकि उच्च शिक्षा का स्तर सुधारना देशहित में होगा ।
इसी के साथ, देश के लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी सुधरेगी । हमें आशा और विश्वास है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें बिना विलंब किए, इस पर गंभीरता से विचार करेंगी और आवश्यक निर्देश जारी किए जाने चाहिए । न्यायालय ने इस बात पर दुख जताया कि स्वतंत्रता के ६८ वर्षों के उपरांत भी कुछ विशेषाधिकारों में परिवर्तन नहीं किया गया है । साथ ही यह भी कहा की, ऐसी शिक्षा में भी अधिकतर योग्यता पर आरक्षण भारी पड़ जाता है ।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका