मनमाने ढंग से दिए जानेवाले तलाक और पहले विवाह के समय ही किए जानेवाले दूसरे विवाह से मुसलमान महिलाओं के साथ होनेवाले भेदभाव पर सर्वोच्च न्यायालय ने चिंता जताई है । न्यायालय ने इस पर केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऐसे सुझाव दे, जिनसे देश में दूसरे धर्मों की महिलाओं जैसा व्यवहार ही मुसलमान महिलाओं के साथ सुनिश्चित हो सके ।
न्यायमूर्ती अनिल दवे और न्यायमूर्ती ए.के. गोयल की खंडपीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि संविधान में जब सबको समान अधिकार दिया गया है तो इन महिलाओं से लैंगिक भेदभाव क्यों हो रहा है ?
न्यायालय ने आगे कहा की, इस से पहले भी कहा था कि सरकार विभिन्न पर्सनल लॉज को तार्किक बनाए और एक समान नागरी संहिता लाए ।