ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष ८/९, कलियुग वर्ष ५११६
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बागबाहरा शहर से करीब चार किलोमीटर दूर घुंचापाली में है चंडी मंदिर। शाम साढ़े छह से सात बजे आरती होती है, ठीक इसी वक्त करीब आधा दर्जन से ज्यादा भालू पहुंच जाते हैं। इनमें दो बड़े और चार बच्चे हैं। आरती के वक्त सारे भालू एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं। जब भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं, भालू भी उनके पीछे होते हैं। उसके बाद वे यहां प्रसाद लेते हैं। बच्चे, बड़े-बुजुर्ग सारे लोग अपने हाथों से इन भालुओं को प्रसाद खिलाते हैं।
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सावधान रहने की जरूरत
महासमुंद के डीएफओ आशुतोष मिश्रा का कहना है कि भालुओं को यहां खाने-पीने का सामान मिलता है, इसलिए आते हैं। लेकिन आम लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि वे जंगली जानवर हैं। सावधान रहने की जरूरत है। हमने मंदिर में चेतावनी का बोर्ड लगाया है।
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…इसलिए नुकसान नहीं पहुंचा रहे
विशेषज्ञ बताते हैं कि भालू पिछले कई महीनों से यहां मनुष्यों के संपर्क में हैं। इसलिए उनकी झिझक खत्म हो चुकी है। लेकिन किसी बात पर अगर वे गुस्सा हो गए, तो हमला भी कर सकते हैं। हालांकि अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।
मंदिर में चेतावनी का बोर्ड भी लगा है, ताकि लोग भालुओं से सावधान रहें। विशेषज्ञ बताते हैं कि भालू पिछले कई महीनों से यहां मनुष्यों के संपर्क में हैं। इसलिए उनकी झिझक खत्म हो चुकी है। लेकिन किसी बात पर अगर वे गुस्सा हो गए, तो हमला भी कर सकते हैं। हालांकि अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।
मंदिर परिसर में सबसे पहले पानी पीते हैं
मंदिर प्रांगण में प्रसाद लेती मादा भालू
आरती के बाद सबसे अंत में पहुंचा यह भालू
स्त्रोत : भास्कर