ईसाईयोंका खरा स्वरूप !
हिन्दुओ, ईसाई मिशनरियोंकी इन झूठी बातोंपर बलि न चढें !
कोची (केरल) : वर्तमान में अनेक स्थान पर ‘दर्शन तिरुनल महामहम’ उत्सव मनाने के लिए भित्तिपत्रक लगाए गए हैं। इन्हें पढ कर किसी भी हिन्दू को ऐसा प्रतीत होता है कि यह हिन्दुओंका उत्सव है, परंतु वैसा कुछ नहीं है, अपितु ईसाई मिशनरियोंद्वारा भोलेभाले हिन्दुओंको फंसा कर उनका धर्मपरिवर्तन करने का और एक षडयंत्र चलाया जा रहा है।
ईसाई मिशनरियोंने भोले भाले हिन्दुओंको फंसाने हेतु हिन्दू धर्म में प्रथा तथा परंपराओंकी भ्रष्ट नकल की है, जैसे मंदिर में पूजा, भजन, धर्मग्रंथ इत्यादि का समावेश होता है, वैसे ही यह एक प्रकार है, ‘दर्शन तिरुनल महामहम’ !
इस उत्सव के तीनों शब्दों का ईसाई धर्म से कोई संबंध नहीं है !
‘दर्शन’ शब्द हिन्दू धर्म में देवी-देवताओंके दर्शन हेतु प्रयुक्त किया जाता है। उसका विदेशी धर्म से कुछ देना देना लेना नहीं !
‘तिरुनल’ का अर्थ है उस तिथि का मुख्य ग्रह अथवा तारा। ईसाई धर्म ज्योतिषशास्त्र पर विश्वास नहीं करता। इसलिए ‘तिरुनल’ शब्द से उनका कोई संबंध ही नहीं !
‘महामहम्’ अर्थात हर १२ वर्ष के बाद जब गुरु ग्रह सिंहस्थ में प्रवेश करता है, अर्थात हिन्दू धर्म में कुंभमेले समान मुहुर्त ! विदेशी ईसाई धर्म में इसका कोई नामोल्लेख भी नहीं !
इसलिए यह संपूर्ण धोखेबाजी हिन्दुओंको फंसाकर उनका धर्मपरिवर्तन करने हेतु की गई है !
केरल के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ‘हैदंव केरलम’द्वारा सभी हिन्दुओंको ईसाई मिशनरियोंकी इस धोखेबाजी से सतर्क किया गया है। संगठनद्वारा ऐसा प्रश्न पूछा गया है कि क्या ईसाई धर्म में हिन्दू धर्म की प्रथा एवं परंपराओंकी नकल करने की अनुमति है ? इसी से हिन्दू धर्म की महानता ध्यान में आती है। केवल हिन्दुओंको ही नहीं, अपितु सभी धर्मपरावर्तित हिन्दुओंको इस पर ध्यान देकर महान हिन्दू धर्म में पुनः वापिस आना चाहिए, ‘हैदंव केरलम संगठन’द्वारा ऐसा आवाहन किया गया है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात