पटाखोंपर सहस्रों करोड रुपयोंका अपव्यय करना देशहित के विरुद्ध ! – हिन्दू जनजागृति समिति
मालवण-सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र) : पटाखें जलाने की प्रथा विदेशी है। हिन्दू धर्म में पटाखें जलाने के लिए किसी शास्त्र का आधार नहीं है। साथ ही पटाखोंसे भारी मात्रा में वायु एवं ध्वनि का प्रदूषण होकर समाज का आरोग्य एवं पर्यावरण संकट में आता है। भारत में तो दिवाली की कालावधि में लगभग ४ सहस्र कोटि रुपयोंके पटाखें जलाएं जाते हैं, जब कि पूरे वर्ष में यह संख्या अनेक गुना अधिक है।
अपना देश आर्थिक संकट में हैं एवं करोडों जनता को एक समय का भोजन भी नसीब में नहीं होता। ऐसे हालात में, इस प्रकार से प्रतिवर्ष सहस्रों करोडो रुपयोंका अपव्यय करना देशहित के विरोध में है। यदि यह धन राष्ट्रकार्य के लिए प्रयुक्त किया गया, तो अनेक समस्याएं हल होने में सहायता होगी; इसलिए हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा शासन से मांग की गई है कि ऐसे प्रदूषणकारी पटाखोंपर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। इस मांग के लिए मालवण की तहसीलदार श्रीमती वनिता पाटिल को निवेदन दिया गया।
इस अवसर पर श्री. रत्नाकर कोलंबकर, श्री. शिवाजी देसाई, श्री. सुहास दूधवडकर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. लक्ष्मण कुर्ले, श्री. दिनानाथ गावडे, श्री. वीरेंद्रनाथ नाईक एवं सनातन संस्था की श्रीमती शिलादेवी गावडे इत्यादि लोग उपस्थित थे।
श्रीमती वनिता पाटिल ने कहा कि, आप का कार्य अच्छा है। पटाखें जलाना अनुचित है। मैं संबंधित दुकानदारोंकी बैठक आयोजित कर सभी तक यह विषय पहुंचाने का प्रयास करती हूं।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात