ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष ११, कलियुग वर्ष ५११६
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इस्लामाबाद : पाकिस्तान में एक इस्लामिक संगठन ने विवादास्पद फैसला दिया है। चौतरफा आलोचनाओं के बावजूद सीआईआई (काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडिओलॉजी) ने नौ साल की बच्ची को भी निकाह के काबिल माना है।
हालांकि शर्त रखी है, उसमें कौमार्य के लक्षण दिखने लगे हों। खुद काउंसिल के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया।
जमात उलेमा ए इस्लाम फजल के मौलाना मोहम्मद खान शीरानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। शीरानी ने स्पष्टीकरण दिया, निकाह किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन बीवी को शौहर के साथ कौमार्य हासिल करने के बाद ही रहना चाहिए।
बैठक में मौजूदा मुस्लिम लीग कानून १९६१ के ज्यादातर उपबंधों को गैर-इस्लामिक भी बताया गया।
निकाह की उम्र तय का कानून गैर इस्लामिक शीरानी ने कहा, निकाह की उम्र तय करने वाले कानून गैर-इस्लामिक हैं।
यहां तक कि पुरूष का दूसरे निकाह से पहले अपनी पत्नी से मंजूरी लेना भी गैर-इस्लामिक है। दो दिन की काउंसिल बैठक के बाद मौलाना शीरानी ने काउंसिल के फैसलों को गंभीरता से न लेने के लिए सिंध असेंबली, मीडिया और समाज के कुछ हिस्सों की आलोचना भी की।
31 मार्च को सिंध असेंबली में प्रस्ताव पारित कर सीआईआई को भंग करने की मांग की गई थी। २८ अप्रेल, २०१३ को बिल पारित कर बाल विवाह पर रोक लगाई थी।
Source : Rajasthanpatrika Patrika