ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
ईसाई मिशनरियोंके कारण ईशान्य भारतका ईसाईकरण हो गया है । यहांके ईसाई आतंकवादी संगठन देशसे अलग होकर स्वतंत्र होने हेतु प्रयासरत हैं । कांग्रेसी राजनेताओंद्वारा उनकी चापलूसीके कारण उनका पोषण हुआ । अब मोदीजीके राज्यमें इन आतंकवादियोंको नष्ट करना प्रमुख कार्य होगा !
आगरतला – त्रिपुरा राज्यमें ‘नैशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा’ (एन.एल.एफ.टी.) नामक आतंकवादी संगठन ईसाई धर्मका प्रसार करने हेतु आतंकी कार्यवाहियां करनेमें अग्रसर है । भारतके आतंकवादी संगठनोंका अभ्यास करनेवाली एक सेवाभावी संस्थाने विश्वके प्रमुख १० आंतकवादी संगठनोंमें एन.एल.एफ.टी.की गिनती की है । यह संगठन हिंदुओंका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन करनेके लिए कुख्यात है ।
१. एन.एल.एफ.टी.संगठनको त्रिपुराके बाप्टिस्ट चर्चद्वारा शस्त्र एवं निधि प्राप्त होती है, ऐसा सरकारके पास अंकित है । वर्ष २००० के अप्रैल माहमें त्रिपुराके नोआपारा बाप्टिस्ट चर्चके सचिव नागमाणाल हलामके पास भारी मात्रामें विस्फोटक मिलनेके कारण उसे बंदी बनाया गया था । उसने एन.एल.एफ.टी.संगठनको २ वर्षोंतक शस्त्रपूर्ति करनेकी स्वीकृती दी । स्थानीय हिंदुओंद्वारा ५ दिनका दुर्गा उत्सव न मनाया जाने हेतु एन.एल.एफ.टी.ने हिंदुओंको जीवित मारनेकी धमकियां दी थीं । धर्मपरिवर्तनको विरोध करनेके कारण पिछले २ वर्षोंमें २० लोगोंकी हत्या की गई । इस बीच ५ सहस्र आदिवासियोंका धर्मपरिवर्तन किया गया ।
२. वर्ष २००० के अगस्त माहमें हिंदु धार्मिक नेता शांति त्रिपुराकी गोली मारकर हत्या की गई । इसी वर्ष दिसंबर माहमें लाभ कुमार जमातीया नामक धार्मिक नेताका अपहरण कर उसपर हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन करनेके लिए दबाव डाला गया एवं उसके न सुननेपर उसकी हत्या कर दी गई ।
३. वर्ष २००५ के मई माहमें किशोर देब्बर्मा साम्यवादीकी हत्या की गई । इन घटनाओंके कारण त्रिपुरा राज्यके हिंदुओंमें दहशतका वातावरण उत्पन्न हो गया है तथा धर्मपरिवर्तनको होनेवाला विरोध न्यून होता जा रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात