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RSS ने कहा- डेस्पेरेट, फ्रस्ट्रेटेड हैं पुरस्कार लौटाने वाले लेखक, साइंटिस्ट, इतिहासकार

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले। (दाएं)

रांची :  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा है कि पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार, इतिहासकार, फिल्मकार और साइंटिस्ट डेस्पेरेट और फ्रस्ट्रेटेड लोगों के गैंग का हिस्सा हैं।

तथाकथित बुद्धिजीवियों का गिरोह

शुक्रवार को यहां आरएसएस की ऑल इंडिया एग्जीक्यूटिव मीट में होसबोले ने कहा कि पुरस्कार लौटाने वाले समाज की अनदेखी के शिकार तथाकथित बुद्धिजीवियों के गिरोह के सदस्य हैं, जिनके विचार सुनने लोगों ने बंद कर दिए हैं। इसलिए अब ये सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। इनमें से कोई भी भरोसे के काबिल नहीं है। वैज्ञानिक एम भार्गव के पद्मभूषण लौटाने पर दत्तात्रेय ने कहा, ”वैज्ञानिकों को राजनीति से क्या काम? वे वैज्ञानिक चर्चा में भाग क्यों नहीं लेते? दरअसल, ये सभी देश में यह माहौल बनाने की साजिश कर रहे हैं कि केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद धार्मिक असहिष्णुता बढ़ गई है। जबकि यह सच नहीं है।”

होसबोले ने और क्या कहा? 

ऐसे लोग संघ को सहिष्णुता का पाठ न पढ़ाएं। संघ इनकी साजिश की निंदा करता है। राजनीतिक साजिश के तहत ये सभी संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। पर वे कभी सफल नहीं होंगे, क्योंकि जनता के प्यार की वजह से संघ की लोकप्रियता है। ऐसे चंद लोगों के गलत कमेंट्स से संघ की इमेज को नुकसान नहीं होगा। जनता सब समझती है।

देश में पिछले ६० साल से ये लोग असहिष्णुता का खेल खेल रहे हैं। सहिष्णुता के सवाल पर हम हमेशा डिबेट काे तैयार रहे और ये लोग भागते रहे। मुंबई बम ब्लास्ट और गोधरा में कारसेवकों की हत्या जैसी दर्जनों घटनाएं हुईं। उन घटनाओं के समय ये कहां थे? उस समय इन्होंने अवॉर्ड क्यों नहीं लौटाए?

दरअसल, पुरस्कार लौटाने वालों की दुकानें बंद हो चुकी हैं, जिससे इनके पेट में दर्द हो रहा है। अब ये फिर से अपनी दुकानें चलाने के चक्कर में हैं। ऐसे में, खुद को प्रासंगिक बताने और चर्चा में बने रहने की जद्दोजहद में ये लोग संघ पर हमला कर रहे हैं।

जब गुजरात दंगा के लिए वहां की तत्कालीन राज्य सरकार को दोषी ठहराया गया, तो दादरी या कर्नाटक की घटना के लिए केंद्र कैसे जिम्मेदार हो गया? दादरी के लिए इन लोगों ने यूपी की सपा सरकार और कर्नाटक में साहित्यकार पर हमले के लिए वहां की एनडीए सरकार को दोषी नहीं ठहराया। अगर इन घटनाओं के लिए केंद्र दोषी है तो फिर गुजरात दंगों के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार को दोषी बताया जाए।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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