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कश्मीर में जिहादी आतंकवाद के कारण २५ वर्षों में लौट पाया केवल १ हिन्दू परिवार !

हिंदूओ, केंद्र और राज्य में चाहे कोई भी दल सत्ता में आए, वह कश्मीरी हिंदूंआें को पुनः कश्मीर में तब तक नहीं बसा सकता जब तक वहां का जिहादी आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता । और यह आतंकवाद समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम पाकिस्तान को सबक सिखाने की आवश्यकता है परंतु  कोई यह साहस नहीं कर रहा । यह हिंदूआें का दुर्भाग्य है । – हिन्दूजागृति

नई दिल्ली – जिहादी आतंकवाद के कारण कश्मीर से करीब ४.५ लाख पंडितों को अपना घर छोडना पड़ा था। १९९० के दशक में कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और इस कारण इन लोगों को अपना घर छोडने पर विवश होना पडा । इन लोगों को घाटी में वापस बसाने के प्रयास किए गए परंतु इन्हे सफलता नहीं मिली । इनमें से एक केंद्र सरकार की ओर से चलाया गया प्रधानमंत्री पुनर्वास कार्यक्रम २००८ है। इसमें १६०० करोड रुपये का पैकेज दिया गया किंतु इतने प्रयासों के बाद भी कोई परिणाम हासिल नहीं हुआ। 

शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि केवल एक कश्मीरी पंडित परिवार घाटी लौटा है। इससे यह स्पष्ट संकेत जाता है कि कश्मीरी पंडित अब भी वापस जाने को लेकर भयभीत हैं। 

अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस द्वारा दायर अपने परिवाद में सूबे की हुकूमत ने माना है कि १६०० करोड रुपये के पैकेज के बावजूद इस दिशा में नौकरी के लिए स्थान तथा निर्वासित पंडितों के लिए घाटी में ट्रांजिट सिटी बनाने के सिवाय ज्यादा काम नहीं हो पाया है। 

इस परिवाद में सरकार ने कहा है कि कश्मीरी निर्वासितों को वापस लाने और उनके पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। इनमें उन लोगों से आवेदन भी मंगवाए गए थे जो घाटी में लौटने को इच्छुक हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत सरकार को कुल ६५१० आवेदन प्राप्त हुए किंतु, निर्वासितों और उनके परिवार वालों के बीच आपसी सहमति का अभाव तथा आतंकी भय के कारण मात्र एक ही परिवार घाटी में वापिस लौटा।

न्यायालय ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास पैकेज को लागू करने में सरकार की जडता की खिंचाई की थी। न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा था की, कश्मीरी पंडितों के घाटी से जाने के बाद उनके सैकड़ों घरों को गैरकानूनी घोषित कर बेच दिया गया। क्या सरकार ने ऐसे किसी एक घर की बिक्री को गैरकानूनी घोषित किया है ? इन सवालों के उत्तर में ही राज्य सरकार की ओर से शपथपत्र प्रस्तुत किया गया था। 

सरकार ने हालांकि इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया कि, क्या वह संकट के समय कश्मीरी पंडितों द्वारा बेची गई संपत्तियों की बिक्री को रद करेगी। न्यायालय ने सरकार को ऐसी सभी संपत्तियों की सूची बनाने को कहा है जो आतंकवाद के दौरान घाटी छोडकर जाते हुए लोगों ने बेच दीं थीं।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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