हे देवी ! मुझे क्षमा करो, मैं देशसेवा करने जा रहा हूं, मुझे समाजके बंधनसे मुक्त करो !

ज्येष्ठ शुक्लपक्ष १, कलियुग वर्ष ५११६

  • श्रीमती जशोदाबेनसे बिदा लेते समय मोदीने उनसे ये वचन कहे थे !

  • नरेंद्र मोदीकी पत्नी जशोदाबेनने एक दैनिकसे भेंट की

  • कहां देशसेवाके नामपर देशकी संपत्ति लूटकर परिवारपर लुटानेवाले तथा परस्त्रियोंके साथ अनैतिक संबंध रखनेवाले सर्वपक्षीय राजनीतिज्ञ, तो कहां देश हेतु सर्वस्वका त्याग करनेवाले नरेंद्र मोदी !

मुंबई : २६ मईको नरेंद्र मोदीका प्रधानमंत्रीपदके लिए शपथग्रहण समारोह हुआ । उस पाश्र्वभूमिपर एक गुजराती वृत्तपत्रने मोदीकी पत्नी श्रीमती जशोदाबेनसे भेंट की । उसमेंसे कुछ सूत्र आगे दे रहे हैं ।

प्रश्न : मोदी प्रधानमंत्री होंगे, क्या ऐसा लगा था ?
उत्तर : २००२ में एक दूरचित्रवाहिनीके वार्ताकारने पूछा था, गुजरात आज भडक गया है, आगे क्या होगा ? मैंने दृढ निश्चयके साथ कहा था कि गुजरात आज भडका है, कल शांत होगा तथा आजके मुख्यमंत्री कल देशके प्रधानमंत्री बनेंगे । ( एक भारतीय पतिव्रता नारी ही ऐसा कह सकती है तथा वैसा ही हो सकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
प्रश्न : आपके जीवनकी सुखदायी घटना कौनसी है ?
उत्तर : मेरा सारा जीवन ही सुखसे भरा है । विवाहके पश्चात मेरे जीवनमें सुखशांति आई ।
प्रश्न : वैवाहिक सुखके विषयमें क्या लगता है ?
उत्तर : यह मेरा व्यक्तिगत विषय है । मैं उस विषयें कुछ भी नहीं बोलूंगी । तीन वर्षोंमें वास्तवमें तीन माह ही हम साथ रहे थे ।
प्रश्न : नरेंद्र मोदीसे अंतिम बात क्या हुई थी ?
उत्तर : १ जनवरी १९८७ को हमने अंतिम बार बात की । मुझसे बिदा लेते समय उन्होंने हाथ जोडकर मुझे प्रणाम किया तथा कहा, हे देवी मुझे क्षमा करो, मैं देशसेवा करने जा रहा हूं । समाजके बंधनसे मुझे मुक्त करो । उस दिनके पश्चात हम एक बार भी नहीं मिले अथवा दूरभाषसे भी बात नहीं की । वे जहां भी रहें सुखसे रहें, यही मेरी नित्य प्रार्थना है । वे अपने मार्गपर चल रहे हैं और मैं मेरे मार्गसे जीवन यापन कर रही हूं ।
प्रश्न : आपको सीखनेकी प्रेरणा किसने दी ?
उत्तर : उन्होंने ही (नरेंद्र मोदीने ही )! विवाहके समय मेरी पढाई सातवीं तक ही हुई थी । उन्होंने ही प्रोत्साहन दिया अत: दसवींतक पढी तथा अध्यापनका पाठ्यक्रम पूरा किया । वे देशसेवामें लग गए तथा मैं छोटे बच्चोंको सुसंस्कृत करनेकी सेवामें खो गई ।
प्रश्न : क्या राजनीतिमें जानेकी इच्छा है ?
उत्तर : बिलकुल नहीं । घर तथा भगवानकी भक्ति, मेरे जीवनमें इन बातोंका ही अग्रक्रम है ।
प्रश्न : क्या मोदीके शपथग्रहण समारोहमें जाना अच्छा लगेगा ?
उत्तर : मुझे आमंत्रण प्राप्त नहीं हुआ है । यदि मिला तो निश्चित ही जाऊंगी । उनके शपथग्रहण समारोहका आनंद किसे नहीं होगा ?
प्रश्न : क्या मनमें कुछ कडवाहट है ?
उत्तर : नहीं । बिलकुल नहीं । ईश्वर जो करता है अच्छेके लिए ही करता है तथा आगे भी वह अच्छा ही करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है । ( वर्तमानमें कितनी विवाहित महिलाएं ऐसा विचार करती हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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