ज्येष्ठ शुक्लपक्ष १, कलियुग वर्ष ५११६
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इंटरनेशनल डेस्क : पाकिस्तान ने २८ मई १९९८ यानी आज ही के दिन परमाणु परीक्षण कर वैश्विक नाराजगी झेली थी। पाक ने ऐसा भारत के ११ मई १९९८ में पांच परमाणु धमाकों के जवाब में किया था। दरअसल, इसके पीछे उसकी मंशा सिर्फ और सिर्फ विश्व में छठा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनने की थी।
बता दें कि १९७१ युद्ध में पाकिस्तान, भारत के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद से काफी तिलमिलाया हुआ था। पाकिस्तान के नागरिक व सैन्य नेतृत्व ने पाक के दुश्मनों की बुराई करने के साथ ही उन्हें हताश करने पर ध्यान केंद्रित कर लिया।
पाकिस्तान के तत्कालीन व वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के दबावों को दरकिनार करते हुए परमाणु परीक्षण को हरी झंडी दी थी। परमाणु धमाकों के फौरन बाद शरीफ ने देश को संबोधित किया था, ठहमने आज इतिहास रचा है। अल्लाह ने हमें देश की सुरक्षा के मद्देनजर ये कदम उठाने का मौका दिया है, जो बेहद जरूरी है।
शरीफ ने तब ये भी कहा था, ठहमने कभी परमाणु दौड़ में हिस्सा लेने की कोशिश नहीं की। हमने दुनिया को ये बता दिया है कि जो हमें कहा गया है, हम उसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।ठ हालांकि, इसके बाद शरीफ चौतरफा आलोचनाओं से घिर गए थे।
इतिहास के पन्नों को अगर उलटेंगे, तो डॉ अब्दुल कादीर खान का भी सामने आएगा। जी हां, डॉ कादीर परमाणु जगत में एक बड़ा नाम है। उन्हें विवादित तौर पर पाकिस्तान के परमाणु बम का जनक भी कहा जाता है। विवादित इसलिए कि उन्हें उत्तर कोरिया के परमाणु बम का गॉड फादर भी कहा जाता है। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
फ्लैशबैक
डॉ कादीर परमाणु बम बनाने की तकनीक की चोरी के दोषी थे। उन पर परमाणु तकनीक को ईरान और लीबिया के साथ साझा करने का भी आरोप था। उन्होंने अपना गुनाह भी खुद कबूला है।
१९७० के दशक की बात है, जब डॉ कादीर ने ब्रिटिश डच जर्मन संघ उरेन्को संचालित यूरेनियम संवर्धन संयंत्र में नौकरी की। हालांकि, १९७६ में उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तान वापसी कर ली। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो का समर्थन हासिल कर वह पाक के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख बन गए।
अपने काम के दौरान डॉ कादीर ने इस बात पर जोर दिया था कि कार्यक्रम का सैन्य उद्देश्य से कोई लेना-देना नहीं था। हालांकि, १९९८ में परमाणु परीक्षण के बाद उन्होंने कुछ और ही बयान दिया था। डॉ कादीर ने कहा था, ठमुझे कभी संदेह नहीं था कि मैं एक परमाणु बम बना रहा हूं।ठ साथ ही कहा था, ठहमें यह करना ही था।ठ डॉ कादीर ने गौरी-१ और गौरी-२ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ये दोनों मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने सरीखे क्षमताओं से लैस है।
नीदरलैंड ने शुरू कर दी जांच
एक ओर जहां पाकिस्तान परमाणु परीक्षण कर जश्न में डूबा हुआ था, वहीं दूसरी ओर नीदरलैंड में अधिकारियों ने डॉ कादीर के गुनाहों के दस्तावेजों को परत दर परत खंगालना शुरू कर दिया। हॉलैंड को इस बात शक था कि डॉ कादीर ने परमाणु बम बनाने की तकनीक चुराई थी। हॉलैंड का शक सही निकला और डॉ कादीर की हकीकत पूरे विश्व के सामने आई।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर